पंजाब में बाढ़: राहत कार्यों की चुनौतियाँ और सरकारी प्रयास
पंजाब में बाढ़ की स्थिति
पंजाब में बाढ़ के कारण उत्पन्न हालात का सामना करना समाज और सरकार दोनों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। इस बाढ़ ने तीन लाख से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है, जबकि चार लाख एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि प्रभावित हुई है। खेतों की पहचान अब समाप्त हो चुकी है, और भारत-पाक सीमा रेखा, जिसे रेडक्लिफ लाइन कहा जाता है, भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
सीमा पर 12 फीट ऊंची कंटीली तार की फेंसिंग के टूटने से सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। पाकिस्तान इस स्थिति का लाभ उठाकर आतंकियों की घुसपैठ कर सकता है, जिससे नशा तस्करों और अवैध हथियारों की सप्लाई में वृद्धि हो सकती है।
सरकार की प्रतिक्रिया
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि पंजाब में आई बाढ़ न केवल राज्य बल्कि देश की सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, केंद्र सरकार को इस समस्या को केवल पंजाब तक सीमित न रखते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रभावों का आकलन कर त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।
पंजाब सरकार ने राहत कार्यों को सुचारू बनाने के लिए नोडल चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति की है। राज्य सरकार ने 2303 गांवों की पहचान की है, जहां तत्काल सहायता और पुनर्वास की आवश्यकता है। ये नोडल प्रतिनिधि जिला प्रशासन के साथ मिलकर राहत सामग्री के वितरण की निगरानी करेंगे और बाढ़ पीड़ितों के मुआवजे की प्रक्रिया को तेज करेंगे।
स्वास्थ्य और कृषि के लिए कदम
पंजाब के कृषि मंत्री ने बाढ़ प्रभावित अनाज मंडियों को चालू करने के लिए एक विशेष 5 दिवसीय अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य खड़े पानी और गाद को साफ कर मंडियों को आगामी खरीद सीजन के लिए तैयार करना है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बाढ़ से उत्पन्न बीमारियों के खिलाफ सभी संसाधनों को सक्रिय करने का आदेश दिया है। 2303 बाढ़ प्रभावित गांवों में एक विशेष स्वास्थ्य अभियान शुरू किया गया है, जिसमें वेक्टर बोर्न और पानी से उत्पन्न बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए स्वास्थ्य कैंप लगाए जाएंगे।
सामाजिक एकता की आवश्यकता
मुख्यमंत्री मान के नेतृत्व में राहत कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन नुकसान काफी अधिक है। बाढ़ के बाद की कठिनाइयों को देखते हुए, राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए समाज और सरकार के बीच सहयोग आवश्यक है। सभी राजनीतिक दलों और समाज के वर्गों को एकजुट होकर राहत कार्य में सरकार का समर्थन करना चाहिए।
मुख्य संपादक का संदेश
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक