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पंजाब में भूमि विवाद से विकास परियोजनाओं में रुकावट

पंजाब में भूमि विवादों के कारण कई विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। किसानों द्वारा भूमि न देने के कारण 20 हाईवे परियोजनाएं अधर में लटक गई हैं, जिससे राज्य का विकास रुक गया है। नई डेडलाइन के बावजूद परियोजनाओं का कार्य धीमी गति से चल रहा है। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और इसके प्रभावों के बारे में।
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पंजाब में भूमि विवाद से विकास परियोजनाओं में रुकावट

भूमि विवादों के कारण परियोजनाओं में देरी


पंजाब में विकास कार्यों में बाधा पंजाब में विकास परियोजनाओं के लिए समय पर भूमि उपलब्ध न होने के कारण गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ये परियोजनाएं या तो केंद्र सरकार द्वारा या फिर राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही हैं। हालांकि, समय सीमा समाप्त होने के बावजूद ये परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। इसका मुख्य कारण किसानों का भूमि देने से इनकार करना है, जिससे न केवल परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि राज्य का विकास भी रुक रहा है।


हाईवे परियोजनाओं में बाधा

पंजाब में भूमि विवादों के कारण 20 हाईवे परियोजनाएं प्रभावित हो गई हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं। भूमि विवादों के समाधान में देरी के कारण सरकार को इन परियोजनाओं की समय सीमा को बदलना पड़ा है। इनमें दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे और ग्रीनफील्ड हाईवे शामिल हैं।


अमृतसर आईआईएम कैंपस का कार्य भी पूरा नहीं हुआ है, जबकि फिरोजपुर-पत्ती रेलवे परियोजना का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है। इन परियोजनाओं के लिए नई समय सीमा निर्धारित की गई है, लेकिन फिर भी ये पूरी नहीं हो रही हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि राज्य में कुल 39 परियोजनाएं चल रही हैं, जिनकी कुल निर्माण लागत 899 करोड़ रुपये बढ़ गई है।


नई डेडलाइन का निर्धारण

पंजाब में भूमि विवादों के कारण हाईवे परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पा रही हैं। दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे की मंजूरी दिसंबर 2020 में मिली थी, और इसकी डेडलाइन जनवरी 2024 निर्धारित की गई थी। लेकिन काम की धीमी गति के कारण अब नई डेडलाइन मार्च 2025 तय की गई है।


इस परियोजना का केवल 31 प्रतिशत कार्य ही पूरा हुआ है। इसी तरह, दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे के फेज-1 पैकेज-12 को फरवरी 2021 में मंजूरी मिली थी, जिसे अप्रैल 2024 तक पूरा किया जाना था। अब इसकी नई डेडलाइन 1 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है, जबकि इसका केवल 20.65 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है।