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पंजाब में यूरेनियम संदूषण: परगट सिंह की चेतावनी और सरकार की जिम्मेदारी

पंजाब में पीने के पानी में खतरनाक स्तर पर यूरेनियम पाए जाने के बाद विधायक परगट सिंह ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि हजारों परिवारों की सुरक्षा का सवाल है। एनजीटी के नोटिस के बाद, उन्होंने शुद्धिकरण संयंत्र लगाने और मेडिकल कैंप स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस गंभीर मुद्दे पर उनकी अन्य मांगें और पंजाब की जनता की जीत के बारे में।
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पंजाब में यूरेनियम संदूषण: परगट सिंह की चेतावनी और सरकार की जिम्मेदारी

यूरेनियम संदूषण का गंभीर मामला

-परगट बोले – पंजाब के कई ज़िलों में पीने के पानी में खतरनाक स्तर पर यूरेनियम, हजारों लोगों की ज़िंदगी खतरे में


-जल जीवन मिशन की फंडिंग क्यों रोकी? सरकार बताए, प्रभावित इलाकों में तुरंत मेडिकल कैंप और शुद्धिकरण संयंत्र लगाए जाएं


-जीरा की जनता की जीत, तीन साल संघर्ष कर डिस्टिलरी बंद करवाई, बाकी प्रदूषक उद्योगों पर सरकार तोड़े चुप्पी


चंडीगढ़: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और विधायक पद्मश्री परगट सिंह ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पंजाब और केंद्र सरकार को जारी नोटिस यह दर्शाता है कि दोनों सरकारें पंजाब के स्वास्थ्य संकट को नजरअंदाज कर रही थीं। पंजाब के विभिन्न ज़िलों में पीने के पानी में खतरनाक स्तर पर यूरेनियम पाया गया है, जो केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि हजारों परिवारों की सुरक्षा का सवाल है। उन्होंने जीरा की माल्ब्रोज डिस्टिलरी को बंद करने के आदेश का स्वागत किया और इसे जनता की जीत बताया।


परगट सिंह ने कहा कि हर नागरिक का अधिकार है कि उसे सुरक्षित पानी मिले। एनजीटी ने अब दोनों सरकारों को जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर किया है। उन्हें तुरंत फंड जारी करने चाहिए, शुद्धिकरण संयंत्र स्थापित करने चाहिए, मेडिकल स्क्रीनिंग शुरू करनी चाहिए और पानी की गुणवत्ता का डेटा सार्वजनिक करना चाहिए। अब कोई देरी या बहाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि यूरेनियम संदूषण और जीरा की जीत दोनों ही घटनाएं यह साबित करती हैं कि पंजाब को पारदर्शी शासन, प्रदूषकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और सक्रिय जनता की भागीदारी की आवश्यकता है। पंजाब को राहत की बातें नहीं, बल्कि न्याय चाहिए। स्वच्छ पानी पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। प्रदूषकों को दंडित किया जाना चाहिए, सरकारों को ईमानदारी से काम करना चाहिए और जनता को सशक्त बनाना चाहिए। यह जीवन बचाने का सवाल है, न कि सुर्खियां बटोरने का।


उन्होंने केंद्र और एनजीटी के साथ समन्वय के लिए राज्य स्तर पर एक विशेष टास्क फोर्स बनाने की मांग की। इसके साथ ही पानी की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी के लिए एक सार्वजनिक डैशबोर्ड बनाने की आवश्यकता है। नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। यूरेनियम प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए तुरंत मेडिकल कैंप स्थापित किए जाने चाहिए।


परगट सिंह ने एनजीटी द्वारा जीरा की माल्ब्रोज डिस्टिलरी को स्थायी रूप से बंद करने और ध्वस्त करने के आदेश को ऐतिहासिक बताया। यह फैसला सांझा मोर्चा, 40 गांवों के संयुक्त संघर्ष का परिणाम है, जिसने तीन साल तक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जीरा की जनता ने यह साबित कर दिया कि संगठित संघर्ष कैसे बड़े प्रदूषकों को झुका सकता है। लेकिन यह केवल एक लड़ाई जीती गई है, असली संघर्ष अभी जारी है। पंजाब सरकार को हर उस उद्योग पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो ज़मीन, हवा और पानी को प्रदूषित कर रहा है।