पंजाब सरकार का ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट टेंडर: सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ ने उठाए गंभीर सवाल

चंडीगढ़ में सड़क सुरक्षा पर चिंता
चंडीगढ़: अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. कमल सोई, जो राहत – द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन और सोसाइटी फॉर करप्शन फ्री इंडिया के अध्यक्ष हैं, ने पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक्स के नए टेंडर को 'घोटाला' करार दिया है। उनका कहना है कि यह टेंडर कुछ विशेष निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है।
डॉ. सोई ने चंडीगढ़ में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उस घटना का जिक्र किया, जब अप्रैल 2025 में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने राज्य के विभिन्न रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालयों और ड्राइविंग टेस्ट ट्रैकों पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 16 एफआईआर दर्ज की गई थीं। इसमें एक एडीजीपी, एक एसएसपी (विजिलेंस) और एक एआईजी स्तर के अधिकारी को निलंबित किया गया था।
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से इस घोटाले में हस्तक्षेप करने की अपील की। डॉ. सोई ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो न्याय पाने के लिए उन्हें न्यायपालिका का सहारा लेना पड़ेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि उस समय माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की एचएएमएस टेक्नोलॉजी को एसएएस नगर, मोहाली में ड्राइविंग लाइसेंस कंपीटेंसी टेस्ट के लिए लागू करने में राज्य परिवहन विभाग ने जानबूझकर देरी की थी। यह पायलट प्रोजेक्ट कई महीनों से तैयार था, लेकिन इसे रोक दिया गया था। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद ही एचएएमएस को लागू किया गया।
अब तक मोहाली के एस.ए.एस. नगर स्थित टेस्टिंग ट्रैक पर एचएएमएस का उपयोग करके 10,000 से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं, जिनके परिणाम चौंकाने वाले हैं। मोहाली में एचएएमएस-आधारित टेस्ट में केवल 40% पासिंग रेट दर्ज किया गया है, जबकि पंजाब के अन्य हिस्सों में यह दर 99% है। यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को कई बार फटकार लगाई है।
इसके बावजूद, राज्य सरकार ने हाल ही में टेंडर नोटिफिकेशन नंबर: पीएसटीएस/1361, दिनांक 05.09.2025 के तहत एक आरएफपी जारी किया है। यह आरएफपी सेवा प्रदाताओं के चयन के लिए है, ताकि अगले 5 वर्षों के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के क्रियान्वयन, संचालन और रखरखाव, ड्राइविंग लाइसेंस के निजीकरण तथा अन्य संबद्ध सेवाओं को पंजाब स्टेट ट्रांसपोर्ट सोसाइटी को उपलब्ध कराया जा सके। यह पूरा मामला हेराफेरी, पक्षपात और भ्रष्टाचार की बू देता है।