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पंजाब सरकार का प्रोजेक्ट जीवन ज्योत: बच्चों को भीख मांगने से बचाने की पहल

पंजाब सरकार ने प्रोजेक्ट जीवन ज्योत 2.0 के तहत बच्चों को भीख मांगने से बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि इस पहल के तहत अब तक 311 बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित किया गया है। अमृतसर में हाल ही में 15 बच्चों को भीख मांगने से बचाया गया। इस मिशन का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य प्रदान करना है। जानें इस प्रोजेक्ट के बारे में और कैसे यह बच्चों के जीवन में बदलाव ला रहा है।
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पंजाब सरकार का प्रोजेक्ट जीवन ज्योत: बच्चों को भीख मांगने से बचाने की पहल

बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम


पंजाब सरकार का मिशन: बच्चों को भीख मांगने से मुक्त करना


चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में, राज्य सरकार का उद्देश्य हर बच्चे को सुरक्षित बचपन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि बच्चों का बचपन सड़कों पर नहीं, बल्कि स्कूलों में होना चाहिए।


डॉ. बलजीत कौर ने प्रोजेक्ट जीवनज्योत 2.0 की चर्चा करते हुए कहा कि यह पहल बच्चों को गलियों से बचाकर उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य प्रदान कर रही है।


अमृतसर में बच्चों का सफल रेस्क्यू

उन्होंने बताया कि अमृतसर जिले में एक अभियान के दौरान, गुरुद्वारा साहिब के पास 15 बच्चों को भीख मांगने से बचाया गया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया गया। उन्होंने कहा कि जन सहयोग भी उत्साहजनक रहा है, क्योंकि नागरिक धार्मिक स्थलों, बाजारों और बस स्टैंडों पर बच्चों की भीख मांगने की घटनाओं की रिपोर्ट कर रहे हैं।


प्रोजेक्ट जीवनज्योत 2.0 पंजाब के सपनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां कोई बच्चा भीख मांगने के लिए मजबूर नहीं होगा। कपूरथला में होने वाले वार्षिक जोड़ मेले के दौरान, विशेष बचाव टीम का गठन किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बच्चा भीख मांगने के लिए मजबूर न हो।


भीख मांगना: एक गंभीर सामाजिक समस्या

डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि बच्चों से भीख मंगवाना एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है। पंजाब सरकार इस समस्या के समाधान के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर रही है, जिसमें त्योहारों के दौरान जागरूकता अभियान, बचाव कार्य और पुनर्वास कार्यक्रम शामिल हैं।


अब तक, 311 बच्चों को बचाया गया है और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए शिक्षा, पोषण, सलाह और पुनर्वास सहायता प्रदान की जा रही है।