पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: साथी की गोली से मौत पर भी मिलेगा शहीद का दर्जा

महत्वपूर्ण निर्णय
चंडीगढ़ - पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी सैनिक की मृत्यु उसके साथी की गोली से होती है, तो भी उसे 'युद्ध शहीद' का दर्जा प्राप्त होगा।
जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने एक याचिका को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया, जिसमें केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया था कि सैनिक की मां द्वारा पेंशन का दावा बहुत देर से किया गया था, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह मामला रुक्मणी देवी से संबंधित है, जिनके बेटे की मृत्यु 21 अक्टूबर 1991 को जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन रक्षक' के दौरान एक साथी सैनिक की गोली लगने से हुई थी।
उन्हें वही लाभ मिलेगा जो युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को प्रदान किया जाता है। रुक्मणी देवी ने 2018 में उदारीकृत पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया था। केंद्र ने कहा कि यह आवेदन 25 साल की देरी से दायर किया गया है, जो अस्वीकार्य है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह मानने से इनकार कर दिया कि देरी इस मामले में लाभ के अधिकार को समाप्त कर सकती है।