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पटना में 'नो हॉर्न डे' की शुरुआत, ध्वनि प्रदूषण को कम करने की पहल

पटना में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर रविवार 'नो हॉर्न डे' मनाने की घोषणा की गई है। इस पहल का उद्देश्य शहरवासियों को शोर से राहत प्रदान करना है। 30 जुलाई 2025 से शुरू होने वाले इस अभियान के तहत, अनावश्यक हॉर्न बजाने से रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाई जाएगी। जानें इस पहल के पीछे के कारण और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव।
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पटना में 'नो हॉर्न डे' की शुरुआत, ध्वनि प्रदूषण को कम करने की पहल

नो हॉर्न डे का महत्व

नो हॉर्न डे: बिहार की राजधानी पटना में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बोर्ड ने घोषणा की है कि हर रविवार को 'नो हॉर्न डे' मनाया जाएगा, जिसमें वाहन चालकों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने वाहनों का हॉर्न न बजाएं, ताकि शहरवासियों को शोर से राहत मिल सके। यह पहल 30 जुलाई 2025 से लागू हो चुकी है और 2 अक्टूबर 2025 तक जागरूकता अभियान के साथ इसे और प्रभावी बनाया जाएगा।


ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव

पटना में अनावश्यक हॉर्न बजाने की आदत आम है, जो न केवल परेशानी का कारण बनती है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म देती है। बोर्ड के अनुसार, 65 डेसिबल से अधिक ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है, और 75 डेसिबल से अधिक ध्वनि हानिकारक होती है। पटना के आवासीय और शांत क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर औसतन 80 डेसिबल से अधिक पाया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।


ध्वनि प्रदूषण के नुकसान

  • चिड़चिड़ापन और तनाव: लगातार शोर के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
  • श्रवण हानि: लंबे समय तक तेज शोर सुनने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है।
  • उच्च रक्तचाप और हृदय रोग: विशेषज्ञों के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है।
  • नींद में खलल: खासकर रात के समय शोर से नींद प्रभावित होती है, जो बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए गंभीर समस्या है।


जागरूकता अभियान और नियम

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2 अक्टूबर 2025 तक शहर को चार जोनों में बांटकर एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत नो हॉर्न डे को बढ़ावा देने और अनावश्यक हॉर्न बजाने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बोर्ड ने यह भी सलाह दी है कि आपातकालीन स्थिति को छोड़कर, सामान्य दिनों में भी हॉर्न का उपयोग कम से कम करें।


पटना में कुछ क्षेत्रों को 'शांत क्षेत्र' घोषित किया गया है, जिनमें न्यायालय, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, सचिवालय, विधानमंडल, राजभवन, जैविक उद्यान शामिल हैं। इन क्षेत्रों के 100 मीटर के दायरे में हॉर्न, लाउडस्पीकर, डीजे या अन्य शोर उत्पन्न करने वाले उपकरणों का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और डीजे का उपयोग भी वर्जित है।