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पटना में बैंक धोखाधड़ी मामले में तीन को मिली तीन साल की सजा

पटना में सीबीआई कोर्ट ने 1991 में हुए एक बैंक धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, उन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में शामिल सभी व्यक्तियों की पहचान की गई है, और अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के फैसले के पीछे की कहानी।
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पटना में बैंक धोखाधड़ी मामले में तीन को मिली तीन साल की सजा

सीबीआई कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली: बिहार की राजधानी पटना में सीबीआई की अदालत ने 1991 में दर्ज एक बैंक धोखाधड़ी के मामले में तीन आरोपियों को तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, उन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।


अदालत ने दरभंगा में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के दो पूर्व प्रबंधकों और एक निजी व्यक्ति को यह सजा सुनाई। सीबीआई ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह सजा शनिवार को पटना में सुनाई गई।


सजा पाए गए व्यक्तियों में मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कहुआ शाखा के पूर्व प्रबंधक बरुण कुमार मिश्रा, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बहेरा शाखा, मधुबनी के पूर्व शाखा प्रबंधक मोहन जी मिश्रा और एक निजी व्यक्ति दयानंद झा शामिल हैं।


इन सभी को तीन साल की कठोर कारावास और 4 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।


सीबीआई ने 14 अगस्त, 1991 को मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी बरुण कुमार मिश्रा और फील्ड ऑफिसर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि 1989-90 के दौरान इन दोनों ने मिलकर एचएसएस खाता संख्या 1114 में हेरफेर कर 2,48,642 रुपये का गबन किया। यह राशि दयानंद झा के नाम पर दर्शाई गई थी।


जांच के बाद, 30 नवंबर, 1994 को सीबीआई ने गबन के विभिन्न मामलों में दो अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए।


पहला आरोप पत्र पटना के विशेष न्यायाधीश सीबीआई मामलों की एलडी कोर्ट में बरुण कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा और दयानंद झा के खिलाफ दाखिल किया गया। अदालत ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।


दूसरा आरोप पत्र भी पटना के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई मामलों की एलडी कोर्ट में बरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ दाखिल किया गया है, जो अभी मुजफ्फरपुर कोर्ट में विचाराधीन है।