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पराली प्रबंधन: पशुओं के लिए पौष्टिक आहार बनाने की विधि

हर साल धान की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि कैसे वैज्ञानिकों ने पराली को पशुओं के लिए पौष्टिक आहार में बदलने की एक नई तकनीक विकसित की है। यह विधि न केवल प्रदूषण को कम करती है, बल्कि किसानों को कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाला चारा भी उपलब्ध कराती है। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और कैसे आप अपने पशुओं के लिए बेहतर आहार बना सकते हैं।
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पराली प्रबंधन: पशुओं के लिए पौष्टिक आहार बनाने की विधि

जानिए बनाने के टिप्स और फायदे


Stubble Management, नई दिल्ली: हर वर्ष धान की कटाई के बाद लाखों टन पराली को जलाना एक गंभीर समस्या बन गई है। किसान इसे निपटाने का सबसे सरल तरीका आग लगाना समझते हैं, लेकिन इससे निकलने वाला जहरीला धुआं वायु को प्रदूषित करता है। यह धुआं शहरों से लेकर गांवों तक सभी के लिए समस्याएं उत्पन्न करता है, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि खेतों की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। वास्तव में, यही पुआल और भूसा हमारे देश में पशु चारे का सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे पशु कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है।


कम लागत में एक बेहतरीन पशु चारा

इस विधि में पराली को जलाने के बजाय उसे उपचारित करके पशुओं के लिए एक पौष्टिक आहार में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया में पराली में आवश्यक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जिससे यह सूखा चारा दुधारू पशुओं के लिए संतुलित और ऊर्जा से भरपूर भोजन बन जाता है।


यह तकनीक न केवल पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करती है, बल्कि किसानों को कम लागत में एक उत्कृष्ट पशु चारा भी उपलब्ध कराती है। इस प्रकार, जो पराली एक समस्या थी, वही अब किसानों और पशुओं के लिए वरदान बन सकती है।


यूरिया की मदद से तैयार होता है आहार

धान के पुआल से पशुओं का पेट तो भर सकता है, लेकिन यह उन्हें आवश्यक पोषण नहीं दे पाता। यह बहुत कठोर होता है और इसमें प्रोटीन की मात्रा लगभग नगण्य होती है। लेकिन राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने एक ऐसी विधि विकसित की है, जिससे आप इस भूसे को यूरिया की मदद से एक स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार में बदल सकते हैं।


पराली से ऐसे बनाएं पशुओं के लिए पौष्टिक आहार


  • 100 किलो सूखी पराली, 4 किलो यूरिया और लगभग 40-50 लीटर पानी की आवश्यकता होगी।

  • यूरिया को पानी में डालकर अच्छी तरह घोलें, जब तक कि यह पूरी तरह से घुल न जाए।

  • पुआल को एक पक्के फर्श या प्लास्टिक की शीट पर फैलाएं।

  • फिर यूरिया के घोल का छिड़काव करें।

  • पुआल को कांटे या फावड़े से 5-6 बार उलट-पलट करें।

  • भीगे हुए पुआल का ढेर बनाएं और उसे प्लास्टिक की चादर से ढक दें।

  • इस ढेर को लगभग तीन हफ्तों के लिए ऐसे ही छोड़ दें।


पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद

तीन हफ्तों के बाद जब आप ढेर को खोलेंगे, तो पुआल का रंग हल्का पीला या गहरा भूरा हो चुका होगा और उसमें से अमोनिया की हल्की गंध आएगी। इस भूसे को पशुओं को खिलाने से पहले कुछ देर के लिए फैला दें ताकि अतिरिक्त अमोनिया गैस हवा में उड़ जाए। अब यह उपचारित भूसा आपके पशुओं के लिए तैयार है।


आसानी से पचा लेते हैं पशु

यूरिया उपचार से पुआल नरम और सुपाच्य हो जाता है, जिससे पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं। यह उपचार भूसे में प्रोटीन की मात्रा को दो से तीन गुना तक बढ़ा देता है। यह भूसे में मौजूद ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे पशुओं को अधिक ताकत मिलती है। इस विधि से महंगे पशु आहार (खली, चोकर) पर होने वाला खर्च 25% तक कम किया जा सकता है, बिना दूध उत्पादन में कोई कमी आए।