पर्यावरण जागरूकता पर ISOMES में आयोजित वर्कशॉप का महत्व

पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में कदम
21 अगस्त को ISOMES मीडिया कॉलेज में 'Breath of Change' नामक एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मीडिया के छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के तरीकों पर चर्चा की गई। इसमें यह बताया गया कि पर्यावरण रिपोर्टिंग के दौरान किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। यह कार्यशाला सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी।
हवा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर प्रभाव
कार्यशाला में बताया गया कि सांस लेना जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन यदि हवा प्रदूषित हो जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आजकल, वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है।
मीडिया का सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान
समाज में पॉजिटिव चेंज ला सकता है मीडिया
कार्यशाला का उद्घाटन ISOMES की निदेशक तनुजा शंकर ने किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि मीडिया समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावी माध्यम है। CMS के डिप्टी डायरेक्टर सब्यसाची भारती ने भी इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया के छात्र भविष्य के पत्रकार हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को आम जनता तक पहुंचाएं।
वायु प्रदूषण की गंभीरता
कितना गंभीर है वायु प्रदूषण?
कार्यशाला के पहले सत्र में क्लीन एयर एशिया की विशेषज्ञ डॉ. प्राची गोयल ने वायु प्रदूषण की गंभीरता को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने बताया कि यह समस्या प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित है। डॉ. प्राची ने एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि प्रदूषण के बारे में कई गलत धारणाएं समाज में फैली हुई हैं। उन्होंने कहा, 'यह समस्या हमने पैदा की है और इसका समाधान भी हमें ही करना होगा।'
पत्रकारिता में विशेषज्ञता की आवश्यकता
पत्रकार को विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं
दूसरे सत्र में मोंगाबे इंडिया के असिस्टेंट एडिटर मनीष चंद्र मिश्रा ने पर्यावरणीय पत्रकारिता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पत्रकार को विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सही सवाल पूछने की कला जरूरी है। उन्होंने तथ्यों की सटीकता को पत्रकारिता का आधार बताया और कहा कि पर्यावरण की खबरों को सरल और रोचक बनाना चाहिए ताकि आम लोग भी उन्हें समझ सकें। इस सत्र में छात्रों को एक रचनात्मक कार्य दिया गया, जिसमें उन्हें तुरंत एक पर्यावरणीय कहानी का विचार प्रस्तुत करना था।
पर्यावरण की खबरें कैसे प्रस्तुत करें?
कैसे पेश करें पर्यावरण की खबरें?
कार्यशाला के अंतिम सत्र में इंडिया टीवी के सीनियर एडिटर पंकज कुमार ने टीवी पत्रकारिता में पर्यावरणीय खबरों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के तरीके साझा किए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण कोई फैशन का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारी जिंदगी का आधार है। उनके अनुसार, टीवी पर खबरों को लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर दिखाना चाहिए ताकि दर्शक उसका महत्व समझ सकें। उन्होंने यह भी बताया कि मीडिया का काम केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करना और बदलाव के लिए प्रेरित करना भी है।