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पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा की रणनीति पर सवाल उठने लगे

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा की रणनीतियों पर सवाल उठने लगे हैं। ममता बनर्जी की पार्टी में नेताओं की वापसी से भाजपा की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। शोभन चटर्जी, जो कोलकाता के पूर्व मेयर हैं, ने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में वापसी की है। यह घटनाक्रम भाजपा के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा की रणनीति पर सवाल उठने लगे

भाजपा की चुनौतियाँ और ममता बनर्जी की वापसी

पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब स्पष्ट होने लगी है, और भारतीय जनता पार्टी की रणनीतिक गलतियाँ भी उजागर हो रही हैं। जब भाजपा ने ममता बनर्जी के खिलाफ गंभीर चुनौती पेश करने का निर्णय लिया, तो उनकी राजनीति उन नेताओं के चारों ओर केंद्रित हो गई, जो ममता की पार्टी छोड़कर आए थे। हालांकि, ये नेता मूल रूप से ममता बनर्जी के पार्टी के सदस्य नहीं थे, बल्कि ये सभी कांग्रेस या वामपंथी दलों से जुड़े हुए थे। इनमें से कुछ नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन बाद में वे एक-एक करके वापस तृणमूल कांग्रेस में लौट गए।


इस स्थिति ने भाजपा की छवि को नुकसान पहुँचाया है। अब इस क्रम में शोभन चटर्जी का नाम सामने आया है, जो कोलकाता के पूर्व मेयर और एक प्रभावशाली नेता हैं। उन्होंने हाल ही में ममता बनर्जी की पार्टी में वापसी की है। लगभग सात साल पहले उन्होंने पार्टी छोड़ी थी। हाल ही में ममता बनर्जी की सरकार ने शोभन चटर्जी को न्यू कोलकाता डेवलपमेंट ऑथोरिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया था, जिसके बाद उनकी वापसी की अटकलें तेज हो गई थीं। वे अपनी सहयोगी बैशाखी बंदोपाध्याय के साथ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। यह माना जा रहा है कि ममता बनर्जी आगामी चुनाव से पहले अपनी पार्टी के नेताओं को फिर से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी भी ममता की पार्टी से भाजपा में आए थे, और भाजपा के कई नेता उनके साथ सहज नहीं हैं।