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पश्चिम बंगाल में महिला के साथ हुई क्रूरता पर एनसीडब्ल्यू का संज्ञान

राष्ट्रीय महिला आयोग ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक महिला के साथ हुई दिल दहलाने वाली घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है। महिला को छह महीने तक बंधक बना कर रखा गया और उसे गंभीर शारीरिक हिंसा का शिकार बनाया गया। आयोग ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है और पीड़िता को चिकित्सा सहायता देने का आदेश दिया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, एनसीडब्ल्यू ने समाज से अपील की है कि वे ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं।
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पश्चिम बंगाल में महिला के साथ हुई क्रूरता पर एनसीडब्ल्यू का संज्ञान

महिला के साथ बंधक बनाने की घटना

नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक महिला के साथ हुई भयानक घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस महिला को कई महीनों तक बंधक बना कर रखा गया था।


जानकारी के अनुसार, पीड़िता को छह महीने तक बंधक रखा गया क्योंकि उसने पोर्नोग्राफी में काम करने और बार डांसर बनने से मना कर दिया था। इस दौरान उसे लोहे की रॉड से पीटा गया, भूखा रखा गया और उसे गंभीर शारीरिक हिंसा का शिकार बनाया गया। उसकी बाहें, पैर और दांत तोड़ दिए गए, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं।


एनसीडब्ल्यू ने इस अमानवीय कृत्य की कड़ी निंदा की है। आयोग की अध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिखकर दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता के तहत सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, पीड़िता को मुफ्त चिकित्सा सुविधा और मनोवैज्ञानिक परामर्श देने का आदेश दिया गया है, ताकि वह इस दर्दनाक अनुभव से उबर सके।


आयोग ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है और इसे समाज के लिए अस्वीकार्य बताया है।


एनसीडब्ल्यू ने कहा कि इस तरह की बर्बरता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों को सजा देने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि पीड़िता को हर संभव सहायता मिले, जिसमें चिकित्सा, मानसिक और कानूनी मदद शामिल है।


पश्चिम बंगाल पुलिस को इस मामले की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने पर भी जोर दिया गया है।


आयोग ने आम जनता से अपील की है कि वे ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं और पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाएं।