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पश्चिमोत्तर भारत में डायरेक्ट सैलिंग कारोबार में अभूतपूर्व वृद्धि

पश्चिमोत्तर भारत के राज्यों ने डायरेक्ट सैलिंग में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, जिसमें 2023-24 में 2172 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। इस क्षेत्र ने पांच लाख से अधिक लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, और पंजाब जैसे राज्यों में बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जानें इस उद्योग की सामाजिक-आर्थिक भूमिका और भविष्य की संभावनाएं।
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पश्चिमोत्तर भारत में डायरेक्ट सैलिंग कारोबार में अभूतपूर्व वृद्धि

डायरेक्ट सैलिंग में शानदार विकास

चंडीगढ़: भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र के राज्यों जैसे जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष बिक्री में 15.71 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2172 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया है।
यह जानकारी इंडियन डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) द्वारा शुक्रवार को आयोजित ‘नॉर्दर्न डायरेक्ट सेलिंग समिट’ में एक सर्वेक्षण के माध्यम से साझा की गई। इस सर्वेक्षण को आईडीएसए की नॉलेज पार्टनर इपसोस ने संकलित किया है, जिसमें डायरेक्ट सैलिंग क्षेत्र के विकास और विस्तार पर भी प्रकाश डाला गया है। इस अवसर पर हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री राजेश नागर और राज्य के इसी विभाग के प्रधान सचिव डी. सुरेश भी उपस्थित थे।
आईडीएसए के अनुसार, इन राज्यों का कुल डायरेक्ट सैलिंग कारोबार 2172 करोड़ रुपये रहा, जो उत्तरी क्षेत्र के कुल 6,600 करोड़ रुपये के कारोबार का 33 प्रतिशत और राष्ट्रीय स्तर पर 22,142 करोड़ रुपये के कुल कारोबार का 9.8 प्रतिशत है।


स्वरोजगार के अवसर

डायरेक्ट सैलिंग क्षेत्र ने इन राज्यों में पांच लाख से अधिक लोगों को स्वरोजगार और वैकल्पिक आय के अवसर प्रदान किए हैं, जिसमें वर्ष दर वर्ष 31.23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि हरियाणा 1041 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ पश्चिमोत्तर में पहले स्थान पर है, उत्तरी क्षेत्र में दूसरा और राष्ट्रीय स्तर पर सातवां सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। राज्य की 1.6 लाख से अधिक डायरेक्ट सैलर की मेहनत के कारण इसकी बाजार हिस्सेदारी उत्तर क्षेत्र में 15.7 प्रतिशत और राष्ट्रीय स्तर पर 4.7 प्रतिशत है। अन्य चार राज्यों ने इस अवधि में 1,131 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया, जिसमें पंजाब का योगदान 686 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर का 244 करोड़ रुपये, चंडीगढ़ का 112 करोड़ रुपये और हिमाचल प्रदेश का 89 करोड़ रुपये है।


उल्लेखनीय वृद्धि

जम्मू-कश्मीर में बिक्री में 234 प्रतिशत और विक्रेताओं की संख्या में 173 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में बिक्री और प्रत्यक्ष विक्रेताओं में क्रमशः 117 प्रतिशत और 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि चंडीगढ़ में ये आंकड़े 111 प्रतिशत और 25 प्रतिशत रहे। पंजाब में बिक्री में 8 प्रतिशत और विक्रेताओं की संख्या में 14 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। डायरेक्ट सैलिंग उद्योग ने इन राज्यों के खजाने में सालाना 350 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है, जो सामाजिक-आर्थिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।