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पहलगाम हमले के बाद भारत की कूटनीतिक जीत: पाकिस्तान की भूमिका उजागर

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने न केवल सीमापार कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को बेनकाब किया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत ने विभिन्न देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजकर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। इसके परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के प्रति समर्थन व्यक्त किया। जानें, कैसे रूस, ऑस्ट्रेलिया, पराग्वे और मलेशिया ने भारत का साथ दिया और पाकिस्तान को अलग-थलग किया।
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पहलगाम हमले के बाद भारत की कूटनीतिक जीत: पाकिस्तान की भूमिका उजागर

भारत की कूटनीतिक रणनीति का प्रभाव

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने न केवल सीमापार जवाबी कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को बेनकाब किया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने विभिन्न देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजकर आतंकवाद के समर्थन में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। इसके परिणामस्वरूप, केवल 7 दिनों में 5 देशों ने भारत के प्रति अपने समर्थन को स्पष्ट किया, जिनमें से कुछ पहले पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आते थे।


रूस की पहल

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने RIC (रूस-भारत-चीन) मंच को पुनर्जीवित करने की अपील की। इस समय जब अमेरिका के नेतृत्व वाला QUAD एशिया में सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है, रूस की यह पहल भारत की तटस्थ लेकिन प्रभावशाली भूमिका को मान्यता देती है।


ऑस्ट्रेलिया का समर्थन

ऑस्ट्रेलिया ने कहा- हम भारत के साथ हैं

ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस ने भारत का दौरा किया। उन्होंने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन दोहराया। यह संकेत है कि QUAD के भीतर भी भारत की स्थिति को महत्व दिया जा रहा है।


पराग्वे का ऐतिहासिक दौरा

पराग्वे का ऐतिहासिक दौरा

पराग्वे के राष्ट्रपति सैंटियागो पेना का भारत दौरा ऐतिहासिक रहा। यह देश बहुत कम अंतरराष्ट्रीय दौरे करता है, लेकिन राष्ट्रपति ने खुद भारत आकर पीएम मोदी से मुलाकात की और पहलगाम हमले की निंदा की। उन्होंने भारत को 'सभ्यता' कहकर वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका की सराहना की।


मलेशिया का समर्थन

मलेशिया ने पाकिस्तान को दिखाया आईना

पाकिस्तान ने मलेशिया से अनुरोध किया कि वह भारत के सांसदों के कार्यक्रम रद्द कर दे, लेकिन मलेशिया ने पाकिस्तान की बात नहीं मानी और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत किया। यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक साख का बड़ा संकेत था।


कोलंबिया का यू-टर्न

कोलंबिया ने लिया यू-टर्न

पहले पाकिस्तान का समर्थन करने वाले कोलंबिया ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के बाद अपना बयान वापस ले लिया। कोलंबिया ने स्वीकार किया कि उसे अब स्थिति की सही जानकारी है और वह भारत के साथ संवाद जारी रखना चाहता है।


भारत की कूटनीतिक ताकत

नतीजा: भारत बना कूटनीतिक ताकत

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद उसकी कूटनीतिक ताकत को दुनिया ने पहचाना है। पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा है और भारत को वैश्विक समर्थन प्राप्त हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत केवल युद्ध में नहीं, बल्कि कूटनीति में भी विजेता बनकर उभरा है।