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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पुलिस का विद्रोह: सरकार के खिलाफ हड़ताल

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पुलिस और राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने इस्लामाबाद की सरकार के खिलाफ विद्रोह का ऐलान किया है। मुजफ्फराबाद में शुरू हुआ यह आंदोलन अब अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल चुका है। प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी भेदभाव और बुनियादी अधिकारों की कमी का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठे हैं। इस विद्रोह ने PoK में प्रशासनिक कर्मचारियों के असंतोष को उजागर किया है। जानें इस आंदोलन के पीछे की पूरी कहानी और इसके प्रभाव।
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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पुलिस का विद्रोह: सरकार के खिलाफ हड़ताल

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पुलिस का विद्रोह

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में पुलिस और राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने इस्लामाबाद की सैन्य सरकार के खिलाफ विद्रोह का ऐलान किया है। रिपोर्टों के अनुसार, मुजफ्फराबाद में शुरू हुआ यह आंदोलन अब अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल चुका है, जो इस क्षेत्र में पाकिस्तानी शासन के खिलाफ पहला सार्वजनिक विद्रोह है। जमीअत-ए-पुलिस कश्मीर के बैनर तले सैकड़ों पुलिसकर्मी ड्यूटी से इनकार कर धरने पर बैठ गए हैं, जो अपनी वर्दी में बैनर और तख्तियां लिए सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। राजस्व विभाग के कर्मचारी भी 3 अगस्त से पूर्ण हड़ताल की घोषणा के साथ काले पट्टे बांधकर इस विरोध में शामिल हो गए हैं। यह अभूतपूर्व एकजुटता PoK में प्रशासनिक कर्मचारियों के गहरे असंतोष को दर्शाती है.


पुलिसकर्मियों का गुस्सा: भेदभाव का आरोप

प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार PoK के पुलिसकर्मियों के साथ वेतन, पेंशन और बुनियादी अधिकारों में भेदभाव करती है। पंजाब और सिंध के पुलिसकर्मियों की तुलना में PoK के कर्मचारियों को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हमारे अधिकारी ड्यूटी के दौरान शहीद होते हैं, लेकिन उनकी विधवाओं को पिछले 50 सालों से वही मामूली पेंशन मिलती है।" उन्होंने आगे कहा, "पंजाब में पुलिस परिवारों को पूरा मुआवजा, चिकित्सा सुविधा और सरकारी समर्थन मिलता है, लेकिन PoK में हमें दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है."




रोजमर्रा की मुश्किलें

पुलिसकर्मियों ने बताया कि मासिक ईंधन भत्ता केवल तीन दिन चलता है, जिसके बाद उन्हें अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। वर्दी धोने का भत्ता भी केवल एक सप्ताह के लिए पर्याप्त है। एक अधिकारी ने गुस्से में पूछा, "क्या हम इस सरकार के लिए पर्याप्त पाकिस्तानी नहीं हैं? क्या यह भेदभाव इसलिए है क्योंकि हम विवादित क्षेत्र में सेवा करते हैं?"


इस्लामाबाद की चुप्पी

फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की सैन्य समर्थित सरकार ने इस संकट पर चुप्पी साध रखी है। यह चुप्पी PoK के प्रति इस्लामाबाद की उदासीनता को उजागर करती है। दशकों से पाकिस्तान PoK का उपयोग भारत के खिलाफ प्रचार के लिए करता रहा है, लेकिन वहां के नागरिकों को बुनियादी अधिकारों से वंचित रखता है। यह विद्रोह पाकिस्तान के आंतरिक उपनिवेशवाद की सच्चाई को उजागर करता है.