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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बढ़ते जन आंदोलन की गूंज

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में चल रहे जन आंदोलन ने सरकार को चुनौती दी है। स्थानीय लोग लंबे समय से आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा का सामना कर रहे हैं और अब वे सड़कों पर उतर आए हैं। 'शटर डाउन और व्हील जाम' आंदोलन के तहत प्रदर्शनकारियों ने अपने अधिकारों की मांग की है। सरकार ने सुरक्षा उपायों को कड़ा करते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। यह आंदोलन न केवल PoK के लिए, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी एक चेतावनी बन सकता है।
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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बढ़ते जन आंदोलन की गूंज

PoK में जन आंदोलन की शुरुआत

PoK में विरोध प्रदर्शन: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) एक बार फिर बड़े पैमाने पर जन आंदोलन का केंद्र बनता जा रहा है। लंबे समय से आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा का सामना कर रहे स्थानीय निवासियों ने अब सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। अवामी एक्शन कमेटी (AAC) के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन न केवल पाकिस्तान सरकार को चुनौती दे रहा है, बल्कि यह दर्शाता है कि जनता अब और चुप नहीं रहने वाली है।


शटर डाउन और व्हील जाम आंदोलन

अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने सोमवार को क्षेत्र में 'शटर डाउन और व्हील जाम' आंदोलन का ऐलान किया है, जो अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, सरकार और AAC के बीच बातचीत विफल होने के बाद यह आंदोलन तेज किया गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें दशकों से उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है और अब 'बस बहुत हो गया'।


सुरक्षा उपायों में वृद्धि

इंटरनेट सेवाओं का निलंबन: प्रदर्शन की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं ताकि लोग बड़ी संख्या में एकत्रित न हो सकें। इसके अलावा, शहरों के प्रवेश और निकास पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। शनिवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने बड़े पैमाने पर फ्लैग मार्च निकाला, जिससे स्पष्ट है कि सरकार इस बार आंदोलन को हल्के में नहीं ले रही है।


गिलगित-बाल्टिस्तान का असंतोष

असंतोष का इतिहास: PoK में यह असंतोष अचानक नहीं उभरा है। इससे पहले जून में गिलगित-बाल्टिस्तान में हजारों लोगों ने कराकोरम हाईवे को जाम कर दिया था, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के लिए महत्वपूर्ण है। लोग सरकार की व्यापार नीति और भूमि-खनिजों पर कब्जे के प्रस्तावित कानून के खिलाफ थे। बार-बार बिजली कटौती और आर्थिक अनदेखी ने भी गुस्से को और भड़काया है।


पाकिस्तान के लिए चेतावनी

विशेषज्ञों की राय: विशेषज्ञों का मानना है कि यह विरोध केवल एक स्थानीय आंदोलन नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के भीतर बढ़ते असंतोष का संकेत है। शहबाज शरीफ सरकार पहले से ही आर्थिक संकट और विपक्षी दबाव का सामना कर रही है। अब PoK का यह जन आंदोलन उसकी चुनौतियों को और बढ़ा सकता है। सवाल यह है कि क्या सरकार बातचीत और सुधार के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित कर पाएगी, या फिर सख्ती और बल प्रयोग से इसे दबाने का प्रयास करेगी।