पाकिस्तान का इस्लामिक बम: ईरान-इजराइल तनाव के बीच नई चुनौतियाँ

पाकिस्तान का इस्लामिक बम
पाकिस्तान का इस्लामिक बम: इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते विश्व युद्ध की आशंका जताई जा रही है। इस संदर्भ में, 16 जून 2025 को ईरान के एक उच्च सैन्य अधिकारी ने एक गंभीर बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि इजराइल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान भी जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर परमाणु बम गिरा सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि इस्लामिक देशों में पाकिस्तान ही एकमात्र ऐसा राष्ट्र है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं।
इसी कारण से पाकिस्तानी नेता इसे इस्लामिक बम के रूप में संदर्भित करते रहे हैं। ईरानी अधिकारी का यह बयान ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच आया है, जहां दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने इस दावे को तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि उसने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं की है। यह स्पष्ट है कि इजरायली हमलों के डर ने पाकिस्तान को गलत बयानबाजी करने की अनुमति नहीं दी। यह सवाल उठता है कि इस्लाम के नाम पर निर्मित पाकिस्तान का परमाणु बम कब उपयोग में आएगा?
पाकिस्तान का इस्लामिक बम: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
पाकिस्तान का इस्लामिक बम क्या है?
रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में इस्लामिक बम की धारणा 1970 के दशक में विकसित हुई थी, जब कुछ इस्लामिक नेताओं, विशेषकर पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसे इस्लामिक दुनिया की सामूहिक शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। भुट्टो ने कहा था कि आवश्यकता पड़ने पर पाकिस्तान घास खाकर भी परमाणु बम बनाएगा। कुछ विश्लेषकों और पश्चिमी मीडिया ने इसे इस्लामिक बम का नाम दिया, यह दावा करते हुए कि इसका उद्देश्य इस्लामिक देशों की रक्षा करना और पश्चिमी देशों या इजराइल के खिलाफ एकजुटता दिखाना है। हालांकि, पाकिस्तान की आधिकारिक नीति में परमाणु हथियारों को धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक साधन के रूप में देखा जाता है।
ईरान की मदद से इनकार
ईरान की मदद करने से पाकिस्तान का इनकार
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के वरिष्ठ कमांडर जनरल मोहसेन राजाई ने ईरानी सरकारी टेलीविजन पर कहा कि पाकिस्तान ने उन्हें बताया है कि यदि इजराइल ईरान पर परमाणु बम का उपयोग करता है, तो पाकिस्तान भी इजराइल पर परमाणु बम से हमला करेगा।
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को इस्लामिक बम कहने की धारणा और इसके संभावित उपयोग का मुद्दा जटिल और संवेदनशील है। यह विचार कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का उपयोग इस्लाम की रक्षा के लिए करेगा, मुख्यतः प्रचार और वैचारिक दावों से उत्पन्न होता है। इस सवाल का उत्तर खोजने के लिए हमें पाकिस्तान की परमाणु नीति, ईरान पर इजराइल के हमले, गाजा में चल रहे संघर्ष और क्षेत्रीय संतुलन को समझना होगा। इसके साथ ही, हमें यह भी देखना होगा कि इस्लामिक बम की धारणा वास्तविक है या केवल प्रतीकात्मक।
पाकिस्तान की स्थिति
यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान अमेरिका और सऊदी अरब जैसे सहयोगियों के दबाव में है, जो ईरान के खिलाफ हैं। अमेरिका को पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और हवाई क्षेत्र की आवश्यकता हो सकती है, जिसके बदले में उसे आर्थिक सहायता मिल सकती है। ऐसे में पाकिस्तान कोई भी बेवकूफी नहीं करना चाहेगा।