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पाकिस्तान का जल संकट: मंगला और टरबेला बांधों की स्थिति गंभीर

पाकिस्तान इस समय एक गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है, जिसमें मंगला और टरबेला बांध अपने न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच चुके हैं। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद जल प्रवाह में कमी आई है, जिससे कृषि और पेयजल आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले हफ्तों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। जानें इस संकट के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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पाकिस्तान का जल संकट: मंगला और टरबेला बांधों की स्थिति गंभीर

पाकिस्तान में जल संकट की गंभीरता

पाकिस्तान जल संकट: पाकिस्तान इस समय एक गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। देश के प्रमुख बांध, मंगला और टरबेला, अपने 'डेड लेवल' के बेहद करीब पहुंच चुके हैं। भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद, पश्चिमी नदियों से पाकिस्तान को मिलने वाला जल प्रवाह काफी कम हो गया है, जिससे कृषि और पेयजल आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।


खरीफ फसलों की बुवाई का समय

यह संकट उस समय उत्पन्न हुआ है जब पाकिस्तान में खरीफ फसलों की बुवाई का मौसम चल रहा है। भारत की जलस्रोतों की सफाई और भंडारण बढ़ाने की गतिविधियों के कारण जल प्रवाह और भी कम हो गया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले हफ्तों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।


बांधों की स्थिति

मंगला और टरबेला बांध डेड लेवल के करीब: मंगला बांध, जो झेलम नदी पर स्थित है, और टरबेला बांध, जो सिंधु नदी पर है, दोनों ही अपने न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच चुके हैं। भारत द्वारा अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि निलंबित कर दी गई थी, जिसके चलते पाकिस्तान को जल आपूर्ति में भारी कटौती झेलनी पड़ी है।


पंजाब और सिंध में जल की कमी

पंजाब और सिंध में पानी की भारी कमी: पाकिस्तान की 'इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी' (IRSA) के अनुसार, बुधवार को देश ने जितना पानी निकाला, वह उसके जल प्रवाह से 11,180 क्यूसेक अधिक था। IRSA की रिपोर्ट के मुताबिक, टरबेला, मंगला, मराला और नौशेरा जैसे जल मॉनिटरिंग स्टेशनों से कुल 2,52,791 क्यूसेक जल छोड़ा गया, जबकि कुल प्रवाह मात्रा 2,41,611 क्यूसेक ही रही। इस असंतुलन का सीधा असर पंजाब और सिंध जैसे कृषि-आधारित प्रांतों पर पड़ा है।


जल संकट की आशंका

IRSA ने जताई 21% जल संकट की आशंका: IRSA की सलाहकार समिति ने पिछले महीने एक बैठक में 1 मई से 10 जून तक के खरीफ सीज़न में 21% जल संकट की संभावना जताई थी। विशेष रूप से मराला पर चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक आई कमी का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि यह भारत द्वारा जल की सीमित आपूर्ति के कारण हुआ है।


भारत का डेटा साझा करने से इनकार

भारत ने डेटा साझा करने से किया इनकार: भारत ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान परिस्थितियों में वह सिंधु जल संधि के तहत जल प्रवाह से जुड़ा कोई डेटा पाकिस्तान के साथ साझा करने के लिए बाध्य नहीं है। यह निर्णय पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान पर परोक्ष समर्थन का आरोप लगाया था।