पाकिस्तान का ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन और कश्मीर विवाद

पाकिस्तान का शांति पुरस्कार के लिए समर्थन
पाकिस्तान ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन व्यक्त किया है। मुनीर, जो इस मामले में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जानते हैं कि ट्रंप की कमजोरी शांति पुरस्कार और सीजफायर की मांग है। हाल ही में, ट्रंप ने अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक शांति समझौता किया है, जिससे दोनों देशों ने 37 वर्षों से चल रही युद्ध को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस समझौते के बाद, पाकिस्तान ने अपने लिए नए अवसरों की तलाश शुरू कर दी है। हमेशा की तरह, पाकिस्तान कश्मीर को एक बार फिर से एक विवादित मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कश्मीर विवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे सुलझाने में किसी भी देश की मदद का स्वागत किया जाएगा। इन बयानों के माध्यम से, पाकिस्तान ट्रंप की शांति दूत की भावना को भड़काने का प्रयास कर रहा है।
अमेरिका की भूमिका पर पाकिस्तान की टिप्पणी
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफ़क़त अली खान ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में वाशिंगटन की रुचि के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कश्मीर विवाद को सुलझाने में अमेरिका की रुचि के संबंध में हम किसी भी देश से मदद का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दा दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा का मूल है। यह टिप्पणी भारत के कड़े रुख के संदर्भ में आई है, जो 1972 के शिमला समझौते के अनुसार सभी मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने पर जोर देता है और बाहरी मध्यस्थता को खारिज करता है।
पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा
ख़ैबर-पख़्तूनख्वा और बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करते हुए, खान ने कहा कि पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के प्रति चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ये खतरे क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करते रहेंगे। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका के साथ खनिज निष्कर्षण के लिए किसी गुप्त समझौते की अटकलों को खारिज किया और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान का ट्रंप को उकसाने का इतिहास
पाकिस्तान ने 2019 में भी ट्रंप को इसी तरह उकसाया था, जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे। ट्रंप ने तब कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया था कि वह कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा।