पाकिस्तान का रक्षा बजट 20% बढ़ा, आर्थिक संकट की अनदेखी

पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन deteriorate होती जा रही है। देश भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत अन्य देशों से वित्तीय सहायता की मांग कर रहा है। आम जनता महंगाई से परेशान है, लेकिन सरकार नागरिकों को राहत देने के बजाय रक्षा खर्च में वृद्धि कर रही है। यह स्थिति कहावत, "रस्सी जल गई, पर ऐठन नहीं गई" को सही साबित करती है।
बजट में रक्षा खर्च में वृद्धि
मंगलवार को प्रस्तुत बजट में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए रक्षा बजट में 20% की वृद्धि की घोषणा की है। अब इस मद में 2.55 ट्रिलियन रुपये (लगभग 9 अरब डॉलर) आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 2.12 ट्रिलियन रुपये थी। रिपोर्टों के अनुसार, यह निर्णय ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान के बाद लिया गया है।
आर्थिक संकट के बीच रक्षा बजट में वृद्धि की आलोचना
यह विडंबना है कि एक ओर पाकिस्तान अपने कुल खर्च में 7% की कटौती कर रहा है, जो अब 17.57 ट्रिलियन रुपये (लगभग 62 बिलियन डॉलर) होगा, वहीं दूसरी ओर रक्षा बजट को बढ़ाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में रक्षा के लिए आवंटित 2.12 ट्रिलियन रुपये में 2 अरब डॉलर के उत्पाद और अन्य संपत्तियाँ भी शामिल हैं। इसके अलावा, 563 अरब रुपये (लगभग 1.99 अरब डॉलर) सैनिक पेंशन के लिए अलग रखे गए हैं, जो आधिकारिक रक्षा बजट में शामिल नहीं होते। आर्थिक संकट के इस दौर में पाकिस्तान के इस कदम की आलोचना हो रही है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस धन का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने और आम जनता को राहत देने के लिए करना चाहिए था।