पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस: आतंकवादियों को दी गई सरकारी श्रद्धांजलि
पाकिस्तान ने 14 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस मनाया, लेकिन इस अवसर पर आतंकवादियों को दी गई सरकारी श्रद्धांजलि ने एक बार फिर उसके दोहरे रवैये को उजागर किया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े मुदस्सिर अहमद की कब्र पर उच्च अधिकारियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करना चौंकाने वाला था। यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना अब भी आतंकवादियों को संरक्षण दे रही हैं। इस लेख में हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे और देखेंगे कि कैसे पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति रुख अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है।
Aug 16, 2025, 20:09 IST
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पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस और आतंकवाद का दोहरा रवैया
14 अगस्त 2025 को पाकिस्तान ने अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया। इस अवसर पर जो दृश्य सामने आया, उसने इस्लामाबाद के आतंकवाद के प्रति दोहरे रवैये को एक बार फिर उजागर किया। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से जुड़े एक आतंकवादी की कब्र पर पाकिस्तान के उच्च सैन्य और नागरिक अधिकारियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करना न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना अब भी इन संगठनों को "राज्य संरक्षण" प्रदान कर रही है।
मुदस्सिर अहमद, जो एक आतंकवादी था, को पाकिस्तान में 'शहीद' का दर्जा दिया गया है। मुरिदके, लाहौर में उसकी कब्र पर श्रद्धांजलि देने वालों में मेजर जनरल राव इमरान सरताज (GOC, लाहौर डिवीजन), संघीय मंत्री मलिक राशिद अहमद खान, जिला पुलिस अधिकारी कासूर मुहम्मद ईसा खान और डिप्टी कमिश्नर इमरान अली शामिल थे। मुदस्सिर अहमद कोई साधारण व्यक्ति नहीं था; वह भारत के IC-814 विमान अपहरण (1999) और पुलवामा हमले (2019) से सीधे तौर पर जुड़ा एक ‘हाई-वैल्यू टारगेट’ था। भारत द्वारा किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" में उसे और अन्य कुख्यात आतंकियों जैसे यूसुफ अज़हर और अब्दुल मलिक रऊफ को मार गिराया गया।
मुदस्सिर का अंतिम संस्कार 7 मई को मुरिदके में किया गया था। हैरान करने वाली बात यह रही कि उसकी नमाज़-ए-जनाज़ा लश्कर कमांडर अब्दुर रऊफ (जिसे अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है) ने पढ़ाई। इस मौके पर पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी और पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर जनरल भी उपस्थित थे। यह सब दर्शाता है कि पाकिस्तानी राज्य आतंकवादियों को न केवल सहानुभूति, बल्कि सम्मान भी देता है।
पाकिस्तान एक ओर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है और आतंक के खिलाफ लड़ने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर उसके जनरल और मंत्री ऐसे आतंकवादियों की कब्र पर फूल चढ़ा रहे हैं जिन्हें UN और US दोनों ने आतंकवादी घोषित कर रखा है। पाकिस्तान के नेताओं ने आतंकियों के ताबूतों पर फूल बरसाए हैं और कुछ मौकों पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया है। यह सब इस बात को प्रमाणित करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद राज्य की नीति का एक उपकरण बन गया है।
इस तरह की घटनाएँ न केवल दक्षिण एशिया में शांति प्रक्रिया को बाधित करती हैं, बल्कि भारत के लिए सुरक्षा चिंताओं को भी बढ़ा देती हैं। भारत को बार-बार यह साबित करने की ज़रूरत नहीं कि पाकिस्तान एक ‘टेररिस्तान’ बन चुका है— पाकिस्तान के अपने कार्यकलाप इसकी पुष्टि करते रहते हैं। अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पाकिस्तान को उसकी कार्रवाई के लिए जवाबदेह ठहराएं। केवल वित्तीय प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं — जब तक कि पाकिस्तान की राज्य संरचना में मौजूद आतंकवाद के समर्थकों को दंडित नहीं किया जाता, तब तक वैश्विक आतंकवाद को जड़ से खत्म करना असंभव होगा।
मुदस्सिर अहमद और अन्य आतंकवादियों को पाकिस्तान द्वारा दी गई सरकारी श्रद्धांजलि इस बात की गवाही है कि आतंकवाद वहां केवल एक संगठित अपराध नहीं, बल्कि राजनीतिक व रणनीतिक उपकरण बन चुका है। स्वतंत्रता दिवस के दिन इस प्रकार के आयोजनों का होना इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान अभी भी ‘गुलामी’ में है— परंतु यह गुलामी आतंकवाद की विचारधारा की है। यह घटनाक्रम भारत सहित पूरे विश्व के लिए एक स्पष्ट संदेश है: पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति रुख कोई 'गफलत' नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति है — जिसे अब रोकने की जिम्मेदारी पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की है।