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पाकिस्तान की सेना की मुश्किलें: बीएलए और टीटीपी का बढ़ता दबदबा

पाकिस्तान की सेना की स्थिति गंभीर होती जा रही है, जहां बीएलए और टीटीपी के बढ़ते दबदबे ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को चिंतित कर दिया है। हाल ही में 500 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने बीएलए के सामने आत्मसमर्पण किया है। इस बीच, पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त राष्ट्र में बीएलए को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पेश किया है। जानें इस स्थिति का क्या असर हो रहा है और पाकिस्तान की सेना की चुनौतियाँ क्या हैं।
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पाकिस्तान की सेना की मुश्किलें: बीएलए और टीटीपी का बढ़ता दबदबा

पाकिस्तान की सेना की चुनौतियाँ

पाकिस्तान की सेना की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की नींद उड़ गई है। शहबाज की धड़कनें तेज हो गई हैं, जबकि मुनीर को तो मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा गया है। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है। अब टीटीपी और बीएलए पाकिस्तान की स्थिति को और भी कमजोर कर रहे हैं। बीएलए के लड़ाके लगातार पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बना रहे हैं, जिससे उन्हें भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हाल ही में खबर आई है कि 500 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने बीएलए के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, अपनी बंदूकें जमीन पर रखकर रहम की गुहार लगाई है।


पाकिस्तान और चीन का संयुक्त प्रयास

पाकिस्तान में बलूचों का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि आसिम मुनीर भी असहाय नजर आ रहे हैं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान ने अपने पुराने मित्र चीन के साथ मिलकर बीएलए पर अंकुश लगाने का उपाय निकाला है। खबरों के अनुसार, पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसकी आत्मघाती शाखा मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी इकाई के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पेश किया है। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आसिम इफ्तिखार अहमद ने बताया कि ये आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान से संचालित हो रहे हैं।


संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की भूमिका

पाकिस्तान 2025-26 के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, जबकि चीन स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो का अधिकार है। पाकिस्तान 2025 में तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा और आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष भी है। अहमद ने कहा कि अफगान तालिबान को आतंकवाद-रोधी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करना होगा। मजीद ब्रिगेड, जो 2011 में स्थापित हुई, बीएलए की आत्मघाती इकाई है और मुख्य रूप से पाकिस्तान में सुरक्षा बलों और चीनी हितों को निशाना बनाती है। पिछले महीने अमेरिका ने भी बीएलए और मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था।