पाकिस्तान की सेना में भ्रष्टाचार: हथियार सौदों से लेकर रियल एस्टेट तक का खेल

पाकिस्तान में सेना का दबदबा
पाकिस्तान आर्मी में भ्रष्टाचार: पाकिस्तान में सेना का प्रभाव किसी से छिपा नहीं है। वहां की किसी भी संस्था में इतनी ताकत नहीं है कि वह आर्मी को चुनौती दे सके। इसी दबदबे का फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना दशकों से अरबों डॉलर के हथियार सौदों और जमीन की दलाली के जरिए अपनी जेबें भरती रही है। आम जनता महंगाई और आईएमएफ पैकेज की मार झेल रही है, जबकि सेना आलीशान सौदों और कमीशन की संस्कृति को और मजबूत कर रही है.
भ्रष्टाचार का खुलासा
संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट ने इस काले खेल का बड़ा खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तानी आर्मी हथियारों के सौदों में अपारदर्शी मूल्य निर्धारण, पसंदीदा विक्रेताओं और बिचौलियों के नेटवर्क का इस्तेमाल करती है। यही नहीं, रक्षा सौदों से लेकर रियल एस्टेट तक, भ्रष्टाचार की यह जड़ें गहरी और मजबूत हो चुकी हैं.
हथियार सौदों में बिचौलियों का प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, जहाज, विमान, पनडुब्बी, मिसाइलें, बंदूकें, गोलियां और टॉरपीडो जैसी खरीद में बड़े पैमाने पर धांधली होती है। सेना भले ही विदेशी सरकारों से सीधे खरीद का दावा करती हो, लेकिन हकीकत यह है कि बिचौलियों का नेटवर्क इन ठेकों को मैनेज करता है। ये बिचौलिए उच्च पदस्थ अधिकारियों से करीबी संबंध रखते हैं और विदेशी खातों में भारी कमीशन हासिल करते हैं.
हैंगर-श्रेणी की पनडुब्बी डील पर सवाल
पाकिस्तान का मौजूदा हैंगर-क्लास पनडुब्बी कार्यक्रम देश की सबसे बड़ी नौसैनिक परियोजनाओं में से एक है। 2015 में चीन के साथ 4-5 अरब डॉलर की डील हुई थी, लेकिन इसकी फंडिंग और शर्तों का खुलासा कभी संसद या जनता के सामने नहीं किया गया। इस गोपनीयता ने इस पूरे सौदे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
रियल एस्टेट में मुनाफाखोरी
विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना का भ्रष्टाचार सिर्फ हथियार सौदों तक सीमित नहीं है। रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी रक्षा आवास प्राधिकरण (डीएचए) और नौसेना की बहरिया फाउंडेशन जैसे संस्थानों के जरिए यह खेल चलता है। 1982 में स्थापित बहरिया फाउंडेशन अब ड्रेजिंग, समुद्री सेवाएं, आईटी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी काम करती है और करोड़ों का मुनाफा कमा रही है.
भ्रष्टाचार की जांच में बाधाएं
सेना की सत्ता पर पकड़ इतनी मजबूत है कि किसी भी जांच को बीच में ही रोक दिया जाता है। संबंधित फाइलों को 'सीक्रेट' घोषित कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यही कारण है कि सामान्य सैनिक इन सौदों से दूर रहते हैं, जबकि सेना के शीर्ष अधिकारी मलाई खाते रहते हैं.
आर्थिक संकट और सेना का खर्च
आर्थिक संकट में डूबे पाकिस्तान की जनता महंगाई और सब्सिडी कटौती से परेशान है। देश आईएमएफ के राहत पैकेज पर निर्भर है। इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना अपने खर्चों को लगातार बढ़ा रही है और हथियारों की भारी खरीद के जरिए कमीशन संस्कृति को और गहराती जा रही है। इसका नतीजा यह है कि आम पाकिस्तानी गरीब होता जा रहा है और पाक आर्मी अमीर.