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पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण पर अमेरिकी जनरल की भूमिका का खुलासा

पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक अमेरिकी जनरल को सौंपने का दावा किया है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम हुआ है। जॉन किरियाको के अनुसार, यह कदम आतंकवादियों के खतरे को भी कम करता है। हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, जिससे भारत, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों पर सवाल उठ सकते हैं। जानिए इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है।
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पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण पर अमेरिकी जनरल की भूमिका का खुलासा

पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण पर बड़ा खुलासा

पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण: पाकिस्तान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने बताया है कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक अमेरिकी जनरल को सौंप दी है। इस बयान ने सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समुदाय में चर्चा को जन्म दिया है।


पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार का नियंत्रण

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जॉन किरियाको ने एक पॉडकास्ट में कहा कि उन्हें यह जानकारी एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी से प्राप्त हुई थी। उनके अनुसार, अब पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार सीधे एक अमेरिकी जनरल के अधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम ने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध के खतरे को काफी हद तक कम कर दिया है। उन्होंने 2002 का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय दोनों देशों के बीच परमाणु संघर्ष का खतरा अधिक था, लेकिन अब स्थिति में सुधार हुआ है।


आतंकवादियों का खतरा कम

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा 

जब उनसे पूछा गया कि क्या अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि यह जोखिम अब काफी कम हो गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि परमाणु सामग्री पर खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन हथियारों की सुरक्षा पहले से बेहतर है।


अमेरिका की खुफिया जानकारी

अमेरिका को मिली खुफिया सूचना 

किरियाको ने यह भी बताया कि जब वह 2002 में पाकिस्तान में तैनात थे, तब अमेरिकी दूतावास को एक बार खाली करवाया गया था। उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि भारत पाकिस्तान पर परमाणु हमला कर सकता है, जिसके चलते अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए गए थे। उस समय इस्लामाबाद में केवल कुछ अमेरिकी अधिकारी मौजूद थे और उन्हें निकालने के लिए हेलीकॉप्टर भी तैयार रखा गया था।


रणनीतिक संबंधों पर सवाल

रणनीतिक संबंधों और भरोसे पर सवाल 

हालांकि, इस घटना की कोई आधिकारिक पुष्टि या सार्वजनिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। पाकिस्तान की सरकार या सेना ने इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस सनसनीखेज बयान से भारत, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों और भरोसे पर सवाल उठ सकते हैं। आने वाले समय में इस पर वैश्विक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।