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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का इजरायल के साथ संबंधों पर नया बयान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने की संभावना पर विचार किया है। यह बयान तब आया है जब वे पहले ईरान के समर्थन में मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील कर रहे थे। आसिफ ने कहा कि यदि अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने का प्रस्ताव आता है, तो पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा। जानें इस बयान का क्या महत्व है और पाकिस्तान की आधिकारिक नीति क्या है।
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का इजरायल के साथ संबंधों पर नया बयान

ख्वाजा आसिफ का विवादास्पद बयान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक चौंकाने वाला बयान दिया है, जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि यदि अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने का मौका मिलता है, तो पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने पर विचार कर सकता है। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक सप्ताह पहले तक आसिफ ईरान के समर्थन में मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील कर रहे थे.


समा टीवी पर खुलकर चर्चा

समा टीवी के कार्यक्रम 'नदीम मलिक लाइव' में ख्वाजा आसिफ ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने भारत-पाक तनाव, गाजा युद्ध, ईरान-इजरायल संघर्ष और पश्चिम एशिया में अमेरिका की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा की। जब उनसे पूछा गया कि यदि अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार होता है और पाकिस्तान पर इसमें शामिल होने का दबाव डाला जाता है, तो क्या वह इजरायल को मान्यता देगा? इस पर आसिफ ने स्पष्ट किया कि वे अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देंगे।


आधिकारिक प्रस्ताव का अभाव

आसिफ ने यह भी बताया कि अभी तक पाकिस्तान के सामने ऐसा कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं आया है। फिर भी, उनके इस बयान ने यह सवाल उठाया है कि क्या पाकिस्तान अब्राहम अकॉर्ड के तहत इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है.


अब्राहम अकॉर्ड का महत्व

अब्राहम अकॉर्ड 2020 में शुरू हुआ एक अमेरिकी मध्यस्थता वाला समझौता है, जिसके तहत इजरायल और कई अरब देशों जैसे संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मोरक्को के बीच संबंध सामान्य हुए। इस समझौते ने पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा से फिलिस्तीन के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है और इजरायल को मान्यता देने से इनकार किया है। पाकिस्तान की आधिकारिक नीति यह है कि जब तक फिलिस्तीन को 1967 से पहले की सीमाओं के साथ एक स्वतंत्र राज्य और यरुशलम को उसकी राजधानी के रूप में मान्यता नहीं मिलती, तब तक वह इजरायल के साथ कोई संबंध स्थापित नहीं करेगा.