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पाकिस्तान ने चिनाब नदी के जल स्तर में वृद्धि पर भारत को लिखा पत्र

पाकिस्तान ने चिनाब नदी के जल स्तर में अचानक वृद्धि को लेकर भारत को पत्र लिखा है, जिसमें एकतरफा पानी छोड़ने का आरोप लगाया गया है। इस पत्र में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार भी लगाई गई है। पाकिस्तान का कहना है कि यह स्थिति सिंधु जल संधि का उल्लंघन है, और इससे गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। बगलिहार बांध के जल प्रवाह पर भारत का नियंत्रण पाकिस्तान के लिए गंभीर जल संकट उत्पन्न कर सकता है।
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पाकिस्तान ने चिनाब नदी के जल स्तर में वृद्धि पर भारत को लिखा पत्र

पाकिस्तान की चिंता और भारत पर आरोप

नई दिल्ली - पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा है कि 7 दिसंबर से चिनाब नदी के जल स्तर में अचानक वृद्धि हुई है, जिसे भारत द्वारा एकतरफा पानी छोड़ने का संकेत माना जा रहा है। इस जल स्तर में वृद्धि और जल प्रवाह में बदलाव को लेकर पाकिस्तान ने भारत को पत्र लिखा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की मांग की है।


पाकिस्तान के विभिन्न मीडिया चैनलों ने इस घटना की जानकारी दी है। प्रमुख समाचार पत्र डॉन के अनुसार, 7-8 दिसंबर की रात को भारत ने बगलीहार डैम से लगभग 58,000 क्यूसेक पानी अचानक छोड़ दिया, जिससे माराला हेडवर्क्स पर जल प्रवाह बढ़ गया। इसके बाद, 13 दिसंबर से जल प्रवाह को तेजी से घटाकर 870-1,000 क्यूसेक तक लाया गया, जो पिछले 10 वर्षों के औसत (4,000-10,000 क्यूसेक) से काफी कम है।


पाकिस्तान इस स्थिति को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का उल्लंघन मान रहा है, क्योंकि रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट्स में जलाशय को मनमाने ढंग से खाली और भरना प्रतिबंधित है। पाकिस्तान के इंडस वाटर कमिश्नर ने इस मुद्दे पर भारत को पत्र लिखा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है।


पाकिस्तान ने इसे 'वॉटर टेररिज्म' का नाम दिया है, यह कहते हुए कि यह गेहूं की फसल के महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है और भविष्य में पानी की कमी उत्पन्न हो सकती है। 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आईडब्ल्यूटी को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद चिनाब पर पानी रोकने और छोड़ने की घटनाएं बढ़ गईं। हालांकि, पाकिस्तान का कहना है कि संधि अभी भी बाध्यकारी है। यह मामला दोनों देशों के बीच जल विवाद को फिर से उजागर करता है, जहां पाकिस्तान भारत पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगा रहा है। भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।


जम्मू और कश्मीर के रामबन जिले में स्थित बगलिहार बांध 140 मीटर ऊंचा और 350 मीटर लंबा है। इसके निर्माण के बाद से यह भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुद्दा बना हुआ है। पाकिस्तान ने इसके निर्माण के समय भी आपत्ति जताई थी और 2005 में वर्ल्ड बैंक से भी संपर्क किया था, लेकिन अंततः यह बांध भारत के नियंत्रण में पूरा हुआ। अब भारत अपनी मर्जी से पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है, जो एक महत्वपूर्ण रणनीतिक हथियार है। यदि भारत बांध से पूरी ताकत से पानी छोड़ने का निर्णय लेता है, तो 10,000 क्यूबिक मीटर से अधिक पानी पाकिस्तान में बह सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आ सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही पानी की कमी है। इस जल आपूर्ति पर भारत का नियंत्रण पाकिस्तान पर भारी दबाव डालता है, जिससे पाकिस्तान को पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।