पाकिस्तान ने फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने की मांग की

पाकिस्तान का UN में फिलिस्तीन के लिए समर्थन
न्यूयॉर्क: गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर फिलिस्तीन के लिए अपनी आवाज उठाई है। मंगलवार को एक उच्च-स्तरीय वैश्विक सम्मेलन में, पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने न केवल फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने की मांग की, बल्कि गाजा में तत्काल स्थायी संघर्षविराम लागू करने की भी अपील की। उन्होंने इजरायल पर 'युद्ध अपराध' करने का आरोप लगाते हुए वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
इशाक डार ने 'फिलिस्तीन प्रश्न का शांतिपूर्ण समाधान' विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा, 'गाजा आज अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों का कब्रिस्तान बन चुका है। शरणार्थी शिविरों, अस्पतालों और सहायता काफिलों पर जानबूझकर हमले किए जा रहे हैं। यह सामूहिक सजा अब बंद होनी चाहिए।' उन्होंने इजरायल की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इस संघर्ष में 58,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
डार ने हाल ही में कुछ यूरोपीय देशों द्वारा फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, 'हम फ्रांस के इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हैं और अन्य देशों से भी आग्रह करते हैं कि वे इस वैश्विक प्रयास में शामिल हों।'
हालांकि, पाकिस्तान, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज लेकर अपनी अर्थव्यवस्था चला रहा है, ने फिलिस्तीन को संस्थागत और मानव विकास में मदद देने का वादा किया है। डार ने कहा, 'पाकिस्तान केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं करना चाहता, बल्कि सार्वजनिक प्रशासन, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में फिलिस्तीन को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण में समर्थन देने को तैयार है।'
हालांकि, इस वादे पर कई सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञ इसे एक राजनयिक और नैतिक समर्थन से अधिक नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि जो देश खुद कर्ज के बोझ तले दबा हो, उसके लिए किसी दूसरे देश के पुनर्निर्माण में वित्तीय या तकनीकी सहायता देना लगभग असंभव है। डार ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा, 'अब समय आ गया है कि हम फिलिस्तीन के लोगों को उम्मीद दें। संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता ही इस क्षेत्र में स्थायी शांति की सबसे बड़ी गारंटी हो सकती है।'