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पाकिस्तान ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई, लेकिन क्या होगा आगे?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई है, जिसमें आतंकवाद, व्यापार और पीओके जैसे मुद्दों पर चर्चा करने की बात की गई है। हालांकि, पाकिस्तान की पिछले प्रयासों में विफलता और भारत की कड़ी प्रतिक्रिया ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और आगे की संभावनाएं क्या हैं।
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पाकिस्तान ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई, लेकिन क्या होगा आगे?

भारत-पाकिस्तान संबंधों में नई पहल

भारत-पाकिस्तान संबंध: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत से संवाद स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बातचीत में कहा कि वह आतंकवाद, पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) और व्यापार के मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं।


पाकिस्तान की कोशिशें विफल

पाकिस्तान ने ओआईसी में 57 मुस्लिम देशों के समक्ष सिंधु जल संधि का मुद्दा उठाया था। इसके तहत, बिलावल भुट्टो जरदारी के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न देशों में जाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन, पाकिस्तान की ये सभी कोशिशें असफल रहीं और किसी भी देश ने इस मुद्दे में रुचि नहीं दिखाई।


ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने 6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया और उसने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिसका भारत ने प्रभावी जवाब दिया।


भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी, अटारी वाघा सीमा का बंद होना, सार्क वीजा छूट का निलंबन, और पाकिस्तान उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या में कमी शामिल है। भारत का स्पष्ट संदेश है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद और पीओके के मुद्दे का समाधान नहीं करता, तब तक अन्य मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी।


सिंधु नदी समझौता

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के पानी के बंटवारे पर समझौता हुआ था। इस संधि के अनुसार, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब पर अधिकार है, जबकि भारत को पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर। इस प्रकार, पाकिस्तान को पानी के लिए भारत पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है।