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पाकिस्तान में आतंकवादियों की नई रणनीति: खैबर पख्तूनख्वा में छिपे आतंकी अड्डे

पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों ने अपने ठिकाने खैबर पख्तूनख्वा में स्थानांतरित कर लिए हैं, जहां वे भारतीय सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए छिपे हुए हैं। हाल ही में, जैश-ए-मोहम्मद ने एक सार्वजनिक भर्ती रैली का आयोजन किया, जिसमें पुलिस और सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति ने गंभीर सवाल उठाए हैं। इस स्थिति से न केवल भारत, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आतंकवाद अब केवल गैर-राज्यीय तत्वों का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य प्रायोजित तंत्र का हिस्सा बन चुका है।
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पाकिस्तान में आतंकवादियों की नई रणनीति: खैबर पख्तूनख्वा में छिपे आतंकी अड्डे

पाकिस्तान में आतंकवादियों का स्थानांतरण

PAK Terrorist Organization Change Location : ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कम से कम नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के बाद, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों ने अपने ठिकाने अब खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में स्थानांतरित कर दिए हैं। इनमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन (HM) शामिल हैं, जो अब दुर्गम क्षेत्रों में छिपने लगे हैं, जहां भारतीय सैन्य कार्रवाई की संभावना कम है।


पुलिस सुरक्षा में आतंकी रैली का आयोजन

पुलिस सुरक्षा में आतंकी रैली का आयोजन
सूत्रों के अनुसार, यह स्थानांतरण केवल आतंकवादी संगठनों द्वारा नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की सहायता से भी संभव हो रहा है। इसका एक उदाहरण 14 सितंबर को मनसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में देखा गया, जहां जैश ने एक सार्वजनिक भर्ती रैली का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 'देवबंदी धार्मिक सभा' के नाम पर आयोजित हुआ था, लेकिन वास्तव में यह जैश और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI) का एक संयुक्त ऑपरेशन था।


रैली में ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा

रैली में ओसामा बिन की प्रशंसा 
जैश के KPK प्रमुख मौलाना मसूद इलियास कश्मीरी, जिसे अबू मोहम्मद के नाम से भी जाना जाता है, ने सभा को संबोधित किया। कश्मीरी भारत में वांछित है और मसूद अज़हर का करीबी माना जाता है। रैली के दौरान, उसने ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा की और KPK को 'जिहाद का सुरक्षित ठिकाना' बताते हुए अतीत की आतंकी घटनाओं का उल्लेख किया।


पुलिस और GHQ की भूमिका पर गंभीर सवाल

पुलिस और GHQ की भूमिका पर गंभीर सवाल
इस रैली में न केवल सशस्त्र जैश कैडर थे, बल्कि गढ़ी हबीबुल्लाह पुलिस स्टेशन के अधिकारी लियाकत शाह भी उपस्थित थे। यह दर्शाता है कि स्थानीय पुलिस और पाकिस्तान की सैन्य संरचना इन गतिविधियों की जानकारी रखती है और समर्थन भी देती है। कश्मीरी ने यह भी दावा किया कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने जैश के मारे गए आतंकियों के जनाजे में सैन्य सम्मान देने का आदेश दिया था।


मनसेहरा और लोअर दीर में गतिविधियाँ तेज

मनसेहरा और लोअर दीर में गतिविधियाँ तेज
रैली का मुख्य उद्देश्य जैश के नए प्रशिक्षण केंद्र 'मरकज़ शुहदा-ए-इस्लाम' के लिए भर्ती करना था, जिसे हाल के महीनों में विस्तार दिया गया है। अगली बड़ी रैली 25 सितंबर को पेशावर के मरकज़ शहीद मक्सूदाबाद में आयोजित की जाएगी, जो मारे गए यूसुफ अज़हर की याद में होगी।


हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का नया प्रशिक्षण केंद्र

हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का नया प्रशिक्षण केंद्र
दूसरी ओर, हिज़्बुल मुजाहिद्दीन ने लोअर दीर के बंदाई क्षेत्र में नया प्रशिक्षण केंद्र 'HM 313' स्थापित किया है। यह नाम 'बद्र की लड़ाई' और अल-कायदा की 'ब्रिगेड 313' से प्रेरित है, जो वैश्विक जिहादी विचारधारा से जुड़ने की मंशा को दर्शाता है। यह नया केंद्र भारत विरोधी अभियानों और कट्टरपंथी indoctrination का प्रमुख अड्डा बनता जा रहा है।


जैश और PAFF का रणनीतिक कड़ी

जैश और PAFF का रणनीतिक कड़ी
कश्मीरी, जो POK के रावलकोट में जन्मा और 2001 से जैश से जुड़ा है, पहले अफगानिस्तान में नाटो के खिलाफ लड़ चुका है। वह 2018 के सुंजवां आर्मी कैंप हमले का मास्टरमाइंड भी रहा है। बाद में उसने जैश की हिलाल-उल-हक ब्रिगेड की कमान संभाली, जिसे बाद में पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (PAFF) के नाम से पुनः ब्रांड किया गया, जिससे आतंकी गतिविधियों को स्थानीय कश्मीरी आंदोलन का रूप दिया जा सके।


क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा

क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, आतंकियों का KPK में स्थानांतरित होना यह दर्शाता है कि वे अब ऐसे क्षेत्र में जा रहे हैं जहां भारतीय हमले की गुंजाइश कम है और जहां उन्हें अफगान नेटवर्क का समर्थन प्राप्त हो सकता है। साथ ही, इन संगठनों की गतिविधियों में स्थानीय पुलिस और GHQ की संलिप्तता यह साबित करती है कि पाकिस्तान में आतंकवाद अब केवल 'गैर-राज्यीय तत्वों' का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य प्रायोजित तंत्र का हिस्सा बन चुका है।


स्थिति पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती

स्थिति पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती
यह विडंबना है कि एक ओर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता कर रहा है, और दूसरी ओर उसके भीतर सार्वजनिक आतंकी भर्ती कार्यक्रम पुलिस की निगरानी में आयोजित हो रहे हैं। यह स्थिति केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है।