पाकिस्तान में जल संकट: भविष्य की चुनौतियाँ और गंभीरता
पाकिस्तान में जल संकट की गंभीरता
पाकिस्तान पहले से ही बाढ़ की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है, लेकिन भविष्य में जल संकट और भी विकराल हो सकता है। पानी की कमी के बढ़ते संकेतों के कारण, पाकिस्तान को आने वाले समय में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। दुर्भाग्यवश, वहाँ बारिश और बाढ़ के पानी को संचित करने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। इसके अतिरिक्त, भारत द्वारा सिंधु नदी का पानी रोकने से स्थिति और भी बिगड़ गई है। पाकिस्तानी समाचार पत्र 'डॉन' के अनुसार, कुछ रिपोर्टों ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में पाकिस्तान में पानी की कमी कितनी गंभीर हो सकती है।पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बार-बार चेतावनी दी है कि दक्षिण एशिया में बाढ़ और सूखे का चक्र जारी रहेगा। इस कारण, जल संसाधनों की कमी पाकिस्तान की समस्याओं को और बढ़ा देगी। यहाँ के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पानी की कमी का सामना किया जा रहा है। जल गरीबी सूचकांक के अनुसार, पाकिस्तान वर्तमान में दुनिया के उन देशों में 15वें स्थान पर है, जहाँ जल संकट सबसे गंभीर है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, पाकिस्तान 2035 तक पानी की कमी का सामना करेगा।
विश्व वन्यजीव कोष-पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ जल स्तर लगातार घट रहा है। 1947 में पाकिस्तान के पास 5600 घन मीटर पानी उपलब्ध था, जो 2023 तक घटकर केवल 930 घन मीटर रह गया है। संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) भी इस स्थिति की गंभीरता की ओर ध्यान आकर्षित करता है। उनके अनुसार, पाकिस्तान में दुनिया में सबसे अधिक पानी की कमी है। स्थिति इतनी गंभीर है कि आने वाले वर्षों में यहाँ जीवित रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि रद्द करने से संकट और गहरा गया है। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर अधिकार मिला था, जो उसकी 80 प्रतिशत कृषि जरूरतों और एक-तिहाई बिजली उत्पादन की आवश्यकताओं को पूरा करता था। हालाँकि, वर्तमान परिस्थितियों में पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।