Newzfatafatlogo

पाकिस्तान में निगरानी प्रणाली: क्या है WMS 2.0 और LIMS का सच?

अम्नेस्टी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान में बढ़ती निगरानी और सेंसरशिप की गंभीरता को उजागर किया है। WMS 2.0 और LIMS जैसी तकनीकों का उपयोग कर पाकिस्तान ने डिजिटल संचार को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक प्रणाली विकसित की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को इस निगरानी के माध्यम से निशाना बनाया जा रहा है। अम्नेस्टी की महासचिव ने इसे एक "डिस्टोपियन वास्तविकता" बताया है, जो मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है।
 | 
पाकिस्तान में निगरानी प्रणाली: क्या है WMS 2.0 और LIMS का सच?

पाकिस्तान में बढ़ती निगरानी प्रणाली

Pakistan Surveillance System: हाल ही में अम्नेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान में बढ़ती निगरानी और ऑनलाइन सेंसरशिप की गंभीरता को उजागर किया है। इस प्रणाली को वैश्विक तकनीकी कंपनियों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें चीन, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनियाँ शामिल हैं। रिपोर्ट का शीर्षक है "Shadows of Control", जो दर्शाती है कि पाकिस्तान किस प्रकार अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर डिजिटल संचार को अभूतपूर्व स्तर पर मॉनिटर, सेंसर और नियंत्रित कर रहा है।


WMS 2.0: पाकिस्तान की राष्ट्रीय फायरवॉल

WMS 2.0: पाकिस्तान की राष्ट्रीय फायरवॉल
रिपोर्ट के अनुसार, Web Monitoring System (WMS 2.0) पाकिस्तान की एक व्यापक राष्ट्रीय फायरवॉल के रूप में कार्य करता है, जो इंटरनेट एक्सेस को नियंत्रित करता है और सरकारी रूप से "अवैध" घोषित सामग्री को ब्लॉक कर सकता है। यह प्रणाली 2018 में कनाडाई कंपनी Sandvine की तकनीक से स्थापित की गई थी, जिसे बाद में चीनी कंपनी Geedge Networks और अमेरिकी Niagara Networks तथा फ्रांसीसी Thales की मदद से अपग्रेड किया गया। यह प्रणाली इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की गतिविधियों पर गहरी नजर रखती है।


LIMS: लाखों उपयोगकर्ताओं की निगरानी

LIMS: लाखों उपयोगकर्ताओं की वास्तविक समय में निगरानी
एक अन्य महत्वपूर्ण प्रणाली है Lawful Intercept Management System (LIMS), जो दूरसंचार नेटवर्क में एम्बेड की गई है। यह अधिकारियों को कॉल इंटरसेप्ट करने, संदेश पढ़ने और इंटरनेट गतिविधियों को ट्रैक करने की अनुमति देती है। इसके पीछे की मुख्य तकनीक जर्मन कंपनी Utimaco और यूएई की Datafusion ने प्रदान की है। LIMS प्रणाली एक समय में चार मिलियन से अधिक लोगों की निगरानी कर सकती है, जिससे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI को दूरसंचार प्रदाताओं के डेटा का सीधा एक्सेस मिलता है।


निगरानी का दमन के लिए उपयोग

निगरानी का दमन के लिए उपयोग
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के सदस्यों को इस निगरानी प्रणाली के माध्यम से निशाना बनाया जा रहा है। एक पत्रकार ने बताया कि भ्रष्टाचार उजागर करने के बाद से उसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और उसके परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की गई है। उन्होंने कहा कि वे महीनों तक अपने परिवार से बात करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें चिंता है कि उनके परिवार को भी निशाना बनाया जा सकता है।


अम्नेस्टी की चेतावनी

"डिस्टोपियन वास्तविकता", अम्नेस्टी की चेतावनी
अम्नेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामर्ड ने कहा कि पाकिस्तान एक खतरनाक दौर में पहुंच चुका है, जहां निगरानी आलोचना को दबाने का एक साधन बन गई है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के WMS और LIMS सिस्टम ऐसे "वॉचटावर" की तरह कार्य कर रहे हैं जो आम नागरिकों की जिंदगी पर लगातार नजर रखते हैं। यह स्थिति मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है।


विदेशी कंपनियों की भूमिका

विदेशी कंपनियों की भूमिका और आलोचना
रिपोर्ट ने उन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भी आलोचना की है जो पाकिस्तान सरकार के साथ निगरानी तकनीक के अनुबंधों से लाभ कमा रही हैं, लेकिन मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हैं। अम्नेस्टी ने बताया कि 20 कंपनियों से संपर्क करने पर केवल दो ने पूर्ण जवाब दिया, जबकि पाकिस्तान सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रिपोर्ट ने निगरानी तकनीकों के निर्यात पर कड़े नियम और इन कंपनियों की जवाबदेही की मांग की है।