पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा का नया चेहरा: बाढ़ राहत के नाम पर आतंकवाद का पुनर्निर्माण
लश्कर-ए-तैयबा का नया चेहरा एक बार फिर सामने आया है, जब सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया कि यह संगठन बाढ़ राहत के नाम पर धन जुटा रहा है। भारतीय वायुसेना द्वारा मुरिदके में इसके मुख्यालय को नष्ट करने के बाद, यह संगठन नए नामों के साथ पुनर्जीवित हो रहा है। पाकिस्तान सरकार ने भी इन संगठनों के पुनर्निर्माण के लिए धन देने की घोषणा की है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति का दिखावा कर रहा है, जबकि वास्तव में वह इन संगठनों को समर्थन दे रहा है। जानें इस पूरी कहानी के बारे में।
Sep 15, 2025, 11:51 IST
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लश्कर-ए-तैयबा का नया अभियान
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का नया चेहरा एक बार फिर सामने आया है। भारतीय वायुसेना द्वारा 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के मुरिदके में इसके मुख्यालय को नष्ट करने के बाद, सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि एलईटी ऑनलाइन और ऑफलाइन अभियानों के माध्यम से धन जुटा रहा है। यह चौंकाने वाला है कि ये अभियान 'बाढ़ पीड़ितों की मदद' जैसे मानवीय नारों के पीछे चलाए जा रहे हैं। यह वही तरीका है जिसे 2005 में पाकिस्तान/गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओजेके में भूकंप के दौरान जमात-उद-दावा ने अपनाया था, और जुटाए गए चंदे का अधिकांश हिस्सा आतंकवादी ढांचे के निर्माण में लगाया गया था।
बाढ़ राहत शिविरों में गतिविधियाँ
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, हाल ही में पाकिस्तानी रेंजर्स और अधिकारियों की उपस्थिति में एलईटी कार्यकर्ता बाढ़ राहत शिविरों में तस्वीरें खिंचवाते हुए देखे गए, ताकि 'सेवा' का भ्रम उत्पन्न किया जा सके। वास्तव में, यह पूरा अभियान मुरिदके मुख्यालय के पुनर्निर्माण और अन्य क्षतिग्रस्त ठिकानों को फिर से स्थापित करने का एक साधन है। पाकिस्तान सरकार ने भी सार्वजनिक रूप से एलईटी और जैश-ए-मोहम्मद की सुविधाओं के पुनर्निर्माण के लिए धन देने की घोषणा की थी। पहले ही 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये की औपचारिक मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि कुल खर्च का अनुमान 15 करोड़ रुपये से अधिक है।
भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन
भारतीय वायुसेना ने जिन तीन इमारतों को निशाना बनाया था, उनमें एक दो-मंजिला लाल इमारत थी, जिसका उपयोग हथियारों के भंडारण और कैडरों के ठहरने के लिए किया जाता था, जबकि दो अन्य पीली इमारतें वरिष्ठ कमांडरों और प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए थीं। इन इमारतों के नष्ट होने के बाद, आतंकवादी ढांचे को बहरावलपुर और फिर कसूर में स्थानांतरित कर दिया गया। अगस्त-सितंबर में मुरिदके के अवशेषों को जमींदोज कर दिया गया और अब फरवरी 2026 तक नए ढांचे के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। यह तारीख पाकिस्तान में 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के रूप में मनाई जाती है, और उसी दिन एलईटी का वार्षिक जिहाद सम्मेलन आयोजित होना है।
पाकिस्तान का दोहरा खेल
इस घटनाक्रम का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 'आतंकवाद-रोधी' नीति का दिखावा करता है, जबकि वास्तव में उसके संरक्षण में प्रतिबंधित संगठन नाम बदलकर सक्रिय रहते हैं। भारतीय एजेंसियों ने जिन नए नामों की पहचान की है, उनमें पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट, द रेजिस्टेंस फ्रंट, कश्मीर टाइगर्स, तहरीक-ए-तालिबान कश्मीर और माउंटेन वॉरियर्स ऑफ कश्मीर शामिल हैं।
आतंकवाद और मानवीय सहायता का संबंध
पाकिस्तान का यह दोहरा खेल अब छिपा नहीं रह गया है। एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाता है कि आतंकवाद पर काबू पाया जा रहा है, दूसरी ओर प्रतिबंधित संगठनों को पुनर्जीवित कर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध जारी रखता है। मुरिदके के पुनर्निर्माण की कहानी और बाढ़ राहत के नाम पर जुटाई जा रही रकम इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आतंकवाद उसके लिए नीति का हिस्सा है, न कि समस्या का समाधान। भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझना होगा कि आतंक और मानवीय सहायता को एक साथ नहीं चलने दिया जा सकता।