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पाकिस्तान में शिक्षा की चुनौतियाँ: साक्षरता दर और बढ़ती फीस

पाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें बढ़ती महंगाई और फीस शामिल हैं। वर्तमान में, लगभग 22.8 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, जो कि नाइजीरिया के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। साक्षरता दर में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जानें इस विषय पर और अधिक जानकारी।
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पाकिस्तान में शिक्षा की चुनौतियाँ: साक्षरता दर और बढ़ती फीस

पाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली का विकास

1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से पाकिस्तान को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, चाहे वह आर्थिक हो या सामाजिक। प्रारंभ में, कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण देश को शिक्षा, उद्योग और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास करने में समय लगा। लेकिन समय के साथ, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ने कुछ गति पकड़ी और शिक्षा के स्तर में भी सुधार हुआ।


वर्तमान स्थिति की गंभीरता

हालांकि, आज की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। महंगाई ने आम जनता की स्थिति को दयनीय बना दिया है, और शिक्षा का खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है। फीस वृद्धि के नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन उनका पालन कितना किया जा रहा है, यह एक बड़ा प्रश्न है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि लाखों बच्चे अब भी स्कूलों से बाहर हैं।


शिक्षा की स्थिति और साक्षरता दर

पाकिस्तान में वर्तमान साक्षरता दर 62-68% के बीच है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 73-80% और महिलाओं की 52-60% है। ये आंकड़े विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों में भिन्न हो सकते हैं। पिछले कुछ दशकों में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभी भी बहुत कम है। महिलाओं की शिक्षा विशेष रूप से कई चुनौतियों का सामना कर रही है।


फीस वृद्धि के नियम

पाकिस्तान में स्कूल फीस बढ़ाने के नियम प्रांतीय सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। हर प्रांत में शिक्षा विभाग द्वारा यह तय किया जाता है कि स्कूल साल में अधिकतम कितनी फीस बढ़ा सकते हैं। यदि कोई निजी स्कूल निर्धारित सीमा से अधिक फीस बढ़ाना चाहता है, तो उसे पहले अभिभावकों और शिक्षा विभाग को सूचित करना होता है। कई बार इन नियमों की अनदेखी की जाती है, जिससे माता-पिता में असंतोष उत्पन्न होता है।


बढ़ते खर्च और घटता बजट

पाकिस्तान में शिक्षा पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन जीडीपी के अनुपात में यह स्थिति निराशाजनक है। 2009 में सरकार ने शिक्षा पर 7% जीडीपी खर्च का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2018-19 तक यह घटकर केवल 2.4% रह गया। 2024-25 के संघीय बजट में शिक्षा के लिए केवल PKR 58 बिलियन आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट से काफी कम है।


स्कूल से दूर बच्चे

शिक्षा पर बढ़ते खर्च और प्राथमिकता में कमी का सीधा असर बच्चों की स्कूलिंग पर पड़ा है। वर्तमान में पाकिस्तान में लगभग 22.8 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जाते, जो कि नाइजीरिया के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। आर्थिक असमानता, आतंकवाद, अस्थिर राजनीति और महंगी शिक्षा इसके प्रमुख कारण हैं।