पाकिस्तान से जुड़े पहलगाम हमलावरों के सबूत मिले: केंद्रीय गृह मंत्री का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम हमलावरों के पाकिस्तान से संबंधों का खुलासा किया है। हाल ही में बरामद किए गए सबूतों में पाकिस्तानी पहचान पत्र और सैटेलाइट फोन लॉग शामिल हैं। यह जानकारी सुरक्षा बलों द्वारा एकत्रित फोरेंसिक और दस्तावेजी साक्ष्यों पर आधारित है, जो यह दर्शाते हैं कि हमलावर लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। जानें इस मामले में और क्या जानकारी मिली है और कैसे यह सबूत आतंकवादियों की पहचान को स्पष्ट करते हैं।
Aug 4, 2025, 14:33 IST
| 
पाकिस्तानी पहचान पत्र और अन्य सबूतों का खुलासा
चॉकलेट रैपर, पाकिस्तानी पहचान पत्र, सैटेलाइट फोन लॉग और अन्य कई सबूत पहलगाम हमलावरों को पाकिस्तान से जोड़ते हैं। सूत्रों के अनुसार, 28-29 जुलाई के बीच भारतीय एजेंसियों द्वारा बरामद किए गए सबूत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 29 जुलाई को लोकसभा में दिए गए भाषण की याद दिलाते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तान में हुई है। शाह ने कहा, "पहली बार हमारे हाथ सरकार द्वारा जारी पाकिस्तानी दस्तावेज़ लगे हैं जो पहलगाम हमलावरों की राष्ट्रीयता को संदेह से परे साबित करते हैं।"
पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों की पहचान
ऑपरेशन महादेव के दौरान और उसके बाद एकत्र किए गए फोरेंसिक, दस्तावेजी और साक्ष्यों से यह स्पष्ट हुआ कि पहलगाम आतंकी हमले के तीनों हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ सदस्य थे। हमले के दिन से ही ये दाचीगाम-हरवान वन क्षेत्र में छिपे हुए थे। गोलीबारी करने वाली टीम में कोई भी स्थानीय कश्मीरी शामिल नहीं था। सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों की पहचान ए++ कमांडर सुलेमान शाह (कोड नाम फैजल जट्ट) के रूप में हुई है, जो मास्टरमाइंड और मुख्य शूटर था; ए-ग्रेड कमांडर अबू हमजा (कोड नाम अफगान) दूसरा बंदूकधारी था; और ए-ग्रेड कमांडर यासी (कोड नाम जिब्रान) तीसरा बंदूकधारी और पीछे का सुरक्षाकर्मी था।
इन आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध साबित करने के लिए सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र बरामद किए। सुलेमान शाह और अबू हमजा की जेबों से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो लेमिनेटेड मतदाता पर्चियाँ मिलीं। मतदाता क्रमांक (फोटो खींचकर एफआईए को भेजे गए) क्रमशः लाहौर (एनए-125) और गुजरांवाला (एनए-79) की मतदाता सूचियों से मेल खाते हैं।
सुरक्षा बलों द्वारा और सबूतों का खुलासा
इसके अलावा, उन्हें राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनएडीआरए) से जुड़ी स्मार्ट-आईडी चिप्स भी मिलीं। सूत्रों के अनुसार, क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से प्राप्त माइक्रोएसडी में तीनों व्यक्तियों के एनएडीआरए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड (उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने, परिवार वृक्ष) थे, जिससे उनकी पाकिस्तानी नागरिकता और चंगा मंगा (कसूर जिला) तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रावलकोट के पास कोइयन गांव में उनके पते की पुष्टि हुई।