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पाकिस्तानी उच्चायोग के जासूसी नेटवर्क का खुलासा, सिविल इंजीनियर गिरफ्तार

सुरक्षा एजेंसियों ने एक जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें हरियाणा के पलवल निवासी वसीम अकरम को गिरफ्तार किया गया है। अकरम पर आरोप है कि वह पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी के लिए जासूसी कर रहा था। यह मामला दर्शाता है कि कैसे पाकिस्तानी दूतावास वीजा डेस्क का दुरुपयोग कर भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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पाकिस्तानी उच्चायोग के जासूसी नेटवर्क का खुलासा, सिविल इंजीनियर गिरफ्तार

जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश

नई दिल्ली: सुरक्षा एजेंसियों ने एक और जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया है, जो पाकिस्तानी उच्चायोग की आड़ में संचालित हो रहा था। इस मामले में हरियाणा के पलवल के निवासी वसीम अकरम को गिरफ्तार किया गया है, जो कथित तौर पर एक पाकिस्तानी अधिकारी के लिए जासूसी कर रहा था। यह गिरफ्तारी एक बार फिर यह दर्शाती है कि कैसे पाकिस्तानी दूतावास वीजा डेस्क का दुरुपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर रहा है।


सूत्रों के अनुसार, वसीम अकरम को भारतीय न्याय संहिता (BNS) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (OSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। जांच में यह सामने आया कि अकरम पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी जफर उर्फ मुजम्मिल हुसैन के लिए काम करता था। अकरम की जफर से मुलाकात तब हुई जब वह पाकिस्तान के कसूर में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीजा आवेदन करने गया था।


शुरुआत में उसका वीजा खारिज कर दिया गया, लेकिन जब अकरम ने 20,000 रुपये की रिश्वत दी, तो उसका वीजा स्वीकृत हो गया। मई 2022 में जब वह पाकिस्तान से लौटा, तो जफर ने उससे व्हाट्सएप के जरिए संपर्क बनाए रखा।


आरोप है कि जफर ने अकरम को कमीशन का लालच देकर उसके बैंक खाते का उपयोग 'वीजा सुविधा कोष' के लिए किया। अकरम के खाते में लगभग पांच लाख रुपये ट्रांसफर किए गए, जिसमें से उसने 2.3 लाख रुपये (डेढ़ लाख नकद समेत) जफर को वापस किए। इसके अलावा, अकरम ने पाकिस्तानी अधिकारी को भारतीय सिम कार्ड, ओटीपी और भारतीय सेना के जवानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी भी दी।


अधिकारियों ने बताया कि यह 'पलवल मॉड्यूल' उसी पैटर्न पर काम कर रहा था, जैसे पहले मलेरकोटला और नूंह में उजागर हुए मॉड्यूल। इस साल की शुरुआत में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत मलेरकोटला मामले का भंडाफोड़ हुआ था, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारी दानिश ने स्थानीय लोगों को वीजा का लालच देकर जासूसी के लिए इस्तेमाल किया था। इसी तरह नूंह में भी अरमान नाम के एक व्यक्ति को डिफेंस एक्सपो के वीडियो और सिम कार्ड मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह पैटर्न स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारी भ्रष्टाचार के माध्यम से वीजा आवेदकों का शोषण करते हैं और फिर उन्हें जासूसी के लिए मजबूर करते हैं।