पाकिस्तानी सेना में भ्रष्टाचार: हथियारों से रियल एस्टेट तक का धंधा

पाकिस्तान में सेना का प्रभाव
Asim Munir, Pakistan Army: पाकिस्तान में सेना का प्रभाव और शक्ति किसी से छिपी नहीं है। देश के किसी भी संस्थान या संगठन की तुलना में सेना का वर्चस्व अधिक है। इस शक्ति का दुरुपयोग करते हुए, पाकिस्तानी सेना न केवल जनता को धोखा दे रही है, बल्कि व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार में भी लिप्त है। हथियारों की खरीद से लेकर रियल एस्टेट और भूमि सौदों तक, सेना हर क्षेत्र में धांधली कर रही है.
हथियारों की खरीद में पारदर्शिता का अभाव
पाकिस्तानी सेना की हथियार खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। जहाज, विमान, पनडुब्बी, मिसाइल और गोलियों की खरीद में गंभीर अनियमितताएं देखी गई हैं। इन सौदों में बिचौलियों का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है, जिसमें रिटायर्ड सैन्य अधिकारी और ठेकेदार शामिल हैं। ये बिचौलिए विदेशी कंपनियों और उच्च सैन्य अधिकारियों के बीच सांठगांठ करके मोटा कमीशन कमाते हैं.
रियल एस्टेट में मुनाफाखोरी
रियल एस्टेट में मुनाफाखोरी का धंधा
पाकिस्तानी सेना का भ्रष्टाचार केवल हथियारों तक सीमित नहीं है। रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी सेना ने अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है। डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी (DHA) और नौसेना की बहरिया फाउंडेशन जैसी संस्थाएं देश के प्रमुख प्रॉपर्टी डेवलपर्स में शामिल हो चुकी हैं। ये संस्थाएं न केवल भूमि और मकानों का कारोबार करती हैं, बल्कि ड्रेजिंग, आईटी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी फैली हुई हैं.
फर्जी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का खुलासा
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की एक जांच में यह सामने आया कि डीएचए के कुछ अधिकारी फर्जी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी में शामिल थे। डीएचए को विशेष कानूनी दर्जा प्राप्त है, जिससे यह सरकारी जांच से बचता है। इसका परिणाम यह है कि मुनाफा कुछ चुनिंदा लोगों के पास जाता है, जबकि आम जनता को केवल धोखा मिलता है.
बिचौलियों का जाल
बिचौलियों का जाल और पुराना कांड
पाकिस्तानी सेना के हथियारों के सौदों में बिचौलियों की भूमिका कोई नई बात नहीं है। 1990 के दशक में कराची का अगोस्टा पनडुब्बी कांड इसका एक बड़ा उदाहरण है। इस कांड ने सेना के भ्रष्टाचार को उजागर किया था, लेकिन इसके बाद भी यह सिलसिला नहीं रुका। बिचौलिए आज भी विदेशी खातों में कमीशन जमा करते हैं और सौदों को अपने फायदे के लिए हेरफेर करते हैं.
जांच की प्रक्रिया में बाधाएं
जांच का ढोंग और सेना की मनमानी
पाकिस्तान में सेना का इतना दबदबा है कि भ्रष्टाचार की जांच शुरू होने पर भी इसे पूरा नहीं होने दिया जाता। ऐसी जांचों को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर गुप्त करार दे दिया जाता है और फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं.