पापांकुशा एकादशी: तुलसी पूजा के नियम और महत्व

खुशियों से भरा जीवन
Papankusha Ekadashi Tulsi Upaay: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है। तुलसी के नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
तुलसी माता का निर्जला व्रत
धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी माता एकादशी का निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन तुलसी में जल देना या उसके पत्ते तोड़ना व्रत को भंग कर सकता है, जिससे भक्त को मां लक्ष्मी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
तुलसी के पास सफाई का ध्यान
यह माना जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी का निवास साफ-सुथरे स्थान पर होता है। इसलिए, एकादशी के दिन तुलसी के आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सुबह स्नान के बाद तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता की आरती करें। इसके बाद तुलसी मंत्रों का जाप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी की पूजा से धन में वृद्धि होती है और जीवन खुशियों से भर जाता है।
भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करें
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें। ऐसा न करने पर प्रभु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं।
पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 07:10 बजे शुरू हुई और इसका समापन 03 अक्टूबर को शाम 06:32 बजे होगा। इस प्रकार, पापांकुशा एकादशी का व्रत 03 अक्टूबर को मनाया जाएगा।