पार्थ पवार की जमीन डील पर राजनीतिक विवाद, जांच के आदेश
पार्थ पवार की जमीन सौदे पर उठे सवाल
महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से संबंधित पुणे की एक भूमि डील ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। आरोप है कि 40 एकड़ सरकारी भूमि केवल 300 करोड़ रुपये में उनकी कंपनी को बेची गई, जबकि इसका बाजार मूल्य लगभग 1800 करोड़ रुपये था। इस विवाद के बढ़ने पर, अजित पवार ने खुद को इस मामले से अलग करते हुए कहा कि यदि किसी ने उनके नाम का दुरुपयोग किया है, तो उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
सरकारी भूमि की बिक्री पर उठे विवाद
राज्य के राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार, पुणे के मुंधवा क्षेत्र में 40 एकड़ 'महार वतन' सरकारी भूमि अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेची गई, जिसमें पार्थ पवार साझेदार हैं। यह सौदा लगभग 300 करोड़ रुपये में हुआ और केवल 500 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी अदा की गई। नियमों के अनुसार, सरकारी भूमि किसी निजी कंपनी को नहीं बेची जा सकती। इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
पवार का स्पष्टीकरण, नाम का दुरुपयोग न हो
अजित पवार ने मीडिया से कहा कि इस भूमि सौदे से उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 'यदि किसी ने मेरे नाम का उपयोग किया है, तो उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा कि जांच से सच्चाई सामने आएगी। पवार के इस बयान के बाद बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी के विभिन्न धड़ों में इस मुद्दे पर तीखी बहस शुरू हो गई है.
विपक्ष का हमला, न्यायिक जांच की मांग
बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह डील हुई है या नहीं। उन्होंने स्टाम्प ड्यूटी को लेकर भी सवाल उठाए। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि फाइल सरकारी विभागों में 'रॉकेट स्पीड' से चली और स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी गई। उन्होंने पूरे सौदे की पारदर्शी और न्यायिक जांच की मांग की है।
निलंबन और जांच समिति का गठन
प्रारंभिक जांच में अनियमितताएं सामने आने के बाद तहसीलदार सूर्यकांत येवले और सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारु को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्होंने राजस्व विभाग, रजिस्ट्रेशन विभाग और भूमि अभिलेख से सभी रिपोर्ट मांगी हैं। उन्होंने कहा, 'यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई निश्चित है। सरकार इस बात पर एकमत है कि किसी भी अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'
सरकार पर भ्रम फैलाने का आरोप
शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने भी सवाल उठाया कि जब यह सरकारी भूमि है, तो इसे निजी कंपनी को कैसे बेचा गया? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मामले पर भ्रम फैला रही है और सच्चाई छिपा रही है। विपक्ष का कहना है कि यदि यह डील सही है तो दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं, ताकि जनता को सच्चाई का पता चल सके।
