पी. चिदंबरम का बयान: मनरेगा से गांधी का नाम हटाना है उनकी पुनः हत्या
पी. चिदंबरम का बयान
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि महात्मा गांधी का नाम मनरेगा से हटाना उनकी पुनः हत्या के समान है। उन्होंने कहा कि गांधी जी को 30 जनवरी 1948 को मारा गया था और अब उन्हें फिर से मारा जा रहा है। चिदंबरम ने चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह टिप्पणी की।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गांधी और नेहरू के नामों को आधिकारिक दस्तावेजों से मिटाने का प्रयास कर रही है, लेकिन वे भारतीयों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे, जैसे बुद्ध या यीशु। कोई भी सरकारी आदेश उन्हें मिटा नहीं सकता।
केंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल पेश किया था, जिसे 18 दिसंबर को संसद से मंजूरी मिली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल को मंजूरी दे दी है, जिससे यह कानून बन गया है। यह नया कानून 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की जगह लेगा।
चिदंबरम के विचार
चिदंबरम ने क्या कहा
- उन्होंने कहा कि भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल का नाम दक्षिण भारत के ग्रामीणों के लिए समझ से परे है। यह संभव है कि कुछ मंत्रियों को भी इसका अर्थ समझ में न आए। नए कानून के अनुसार, यदि राज्य इस नाम का सही उपयोग नहीं करते हैं, तो उन्हें फंड नहीं मिलेगा।
- मनरेगा योजना जो पहले सभी के लिए उपलब्ध थी, अब नए कानून के तहत केवल कुछ जिलों तक सीमित रहेगी। यह मनरेगा के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, जो हर ग्रामीण जिले में फैली हुई थी। नया संस्करण अब राष्ट्रीय स्तर पर लागू नहीं होगा और इसमें शहरी या कस्बाई पंचायत क्षेत्र शामिल नहीं होंगे।
- नए कानून में फंडिंग की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी गई है। पहले केंद्र सरकार पूरी मजदूरी लागत और 75 प्रतिशत सामग्री खर्च देती थी, लेकिन अब राज्यों को अपने हिस्से का खर्च उठाना होगा। यदि कोई राज्य कहता है कि उसके पास फंड नहीं है, तो योजना वहां लागू नहीं होगी।
- चिदंबरम ने सरकार के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि वे काम के दिनों को बढ़ाकर 125 कर देंगे। वर्तमान में राष्ट्रीय औसत 50 दिन है, और केवल कुछ ही मजदूर निर्धारित 100 दिन पूरे कर पाते हैं।
