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पीएम मोदी ने जी-7 सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाया, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले को मानवता पर हमला बताया। उन्होंने वैश्विक समुदाय को चेतावनी दी कि आतंकवाद के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जो देश इसका समर्थन करते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। मोदी ने स्पष्ट किया कि वैश्विक शांति के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करना होगा। उनका यह बयान आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के लिए एक सीधी चेतावनी है।
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पीएम मोदी ने जी-7 सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश दिया

जी-7 सम्मेलन में आतंकवाद पर कड़ा रुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 सम्मेलन के दौरान आतंकवाद के खिलाफ एक बार फिर से अपनी दृढ़ स्थिति व्यक्त की। कनाडा में आयोजित जी-7 आउटरीच सत्र में, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले को मानवता पर एक गंभीर आक्रमण बताया। उनका कहना था कि यह केवल एक क्षेत्र पर हमला नहीं था, बल्कि यह हर भारतीय की आत्मा, पहचान और गरिमा पर चोट है.


दुनिया को दोहरे मापदंड छोड़ने की सलाह

पीएम मोदी ने वैश्विक समुदाय को चेतावनी दी कि आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही या तटस्थता अब सहन नहीं की जा सकती। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उन्हें इसकी गंभीर कीमत चुकानी होगी। उनके इस बयान को भारत की सख्त विदेश नीति और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.


आतंकवाद के प्रति दोहरे रवैये की आलोचना

अपने भाषण में, पीएम मोदी ने वैश्विक नेताओं को आगाह किया कि जब व्यापार और राजनीति के मुद्दे उठते हैं, तो प्रतिबंध तुरंत लागू कर दिए जाते हैं, लेकिन आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को न केवल बख्शा जा रहा है, बल्कि उन्हें पुरस्कार भी दिए जा रहे हैं। उन्होंने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति बताया.


वैश्विक शांति के लिए स्पष्ट नीति की आवश्यकता

पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए सभी देशों को एक स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, "यदि कोई देश आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।" यह बयान उन देशों के लिए एक सीधी चेतावनी है जो आतंकवाद को समर्थन देते हैं.


वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को उठाने की जिम्मेदारी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाता रहेगा। उन्होंने कहा कि ये देश संघर्ष, खाद्य संकट, ईंधन संकट और वित्तीय अस्थिरता से सबसे पहले प्रभावित होते हैं, इसलिए इनके हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए.