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पीओके में विद्रोह: पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का परिणाम

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हाल के विद्रोह ने पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों को उजागर किया है। लोग महंगाई, बिजली की ऊंची कीमतों और बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान होकर सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई जा रही हैं, और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। क्या पीओके के लोग भारत में शामिल होना चाहते हैं? यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गया है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएं।
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पीओके में विद्रोह: पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का परिणाम

पीओके में विद्रोह की स्थिति


राकेश सिंह | पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में विद्रोह की लहर चल रही है। यहां के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से इतने परेशान हो चुके हैं कि वे सड़कों पर उतर आए हैं। गोलीबारी की घटनाएं हो रही हैं, लोग मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं, जबकि पाकिस्तान सरकार केवल दमनात्मक उपाय कर रही है। यह सवाल उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है? क्या पाकिस्तान की सरकार वहां के लोगों के अधिकारों का हनन कर रही है? पीओके के लोग इतने दुखी क्यों हैं? सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वे भारत में शामिल होना चाहते हैं?


पीओके में विद्रोह: पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का परिणाम
राकेश सिंह, प्रबंध संपादक, आईटीवी नेटवर्क।


पीओके में अक्टूबर 2025 के पहले हफ्ते में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग सड़कों पर हैं, नारे लगा रहे हैं, और पाकिस्तान की सेना उन पर गोलियां चला रही है। रिपोर्टों के अनुसार, कम से कम 8 से 12 लोग मारे जा चुके हैं और 100 से अधिक घायल हैं।


मुजफ्फराबाद, कोटली और सेहनसा जैसे क्षेत्रों में स्थिति इतनी गंभीर है कि इंटरनेट बंद कर दिया गया है, फोन सेवाएं ठप हैं, और पत्रकारों को कवरेज करने से रोका जा रहा है। प्रदर्शनकारी पाकिस्तानी सेना के वाहनों को आग लगा रहे हैं और कुछ सैनिकों को बंधक बना लिया गया है। यह सब महंगाई, बिजली की ऊंची कीमतों और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण हो रहा है।


इसका दोषी कौन है? स्पष्ट रूप से, पाकिस्तान की सरकार और उसकी सेना। पीओके पर पाकिस्तान का कब्जा 1947 से है, लेकिन वहां के लोगों को असली आजादी नहीं मिली। स्थानीय सरकार केवल नाम की है, असली शक्ति इस्लामाबाद के हाथ में है। लोग आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तान ने वहां के संसाधनों का शोषण किया है।


पीओके में कई डैम हैं जो पाकिस्तान को बिजली प्रदान करते हैं, लेकिन वहां के लोगों को सस्ती बिजली नहीं मिलती। वे सब्सिडी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान खुद कंगाल है, जिससे पीओके को और अधिक शोषण का सामना करना पड़ रहा है। जम्मू कश्मीर ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) ने 38 मांगें रखी हैं, लेकिन सरकार ने बातचीत के बजाय गोलियां चलाईं।


क्या पाकिस्तान सरकार वहां के लोगों के अधिकार छीन रही है? हां, मानवाधिकारों की रिपोर्टें यह स्पष्ट करती हैं। पाकिस्तान में अतिरिक्त न्यायिक हत्याएं, जबरन गायब होना, और टॉर्चर आम हैं। पीओके में राजनीतिक दमन, चुनावों में धांधली और असहमति जताने वालों को जेल में डालने की घटनाएं बढ़ रही हैं। अमेरिकी रिपोर्टें कहती हैं कि सरकार उन अधिकारियों को सजा नहीं देती जो ये जुल्म करते हैं।


संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और विरोधियों पर हिंसा होती है, और कोई सजा नहीं मिलती। पीओके में लोग कहते हैं कि पाकिस्तानी सेना उनके घरों पर कब्जा करती है, संसाधनों को लूटती है और विरोध करने पर आतंकवादी का टैग लगा देती है। इंटरनेट ब्लैकआउट अब एक सामान्य प्रक्रिया बन गई है, ताकि प्रदर्शन रोके जा सकें। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की रक्षा करे, लेकिन वह क्या कर रही है? गोली चला रही है।


पीओके के लोग क्यों परेशान हैं? पाकिस्तान का आर्थिक संकट, जहां महंगाई आसमान छू रही है। रोटी, आटा, बिजली, सब महंगा हो गया है। इसके अलावा, कोई विकास नहीं हो रहा है। सड़कें खराब हैं, अस्पताल कम हैं, और स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। लोग महसूस करते हैं कि पाकिस्तान ने पीओके को केवल एक रणनीतिक स्थान के रूप में इस्तेमाल किया है, विकास के लिए नहीं। बलूचिस्तान और केपीके की तरह, यहां भी लोग महसूस करते हैं कि इस्लामाबाद उन्हें अपना नहीं मानता। प्रदर्शनों में नारे लग रहे हैं, "आजादी, पाकिस्तान से आजादी।" कुछ वीडियो में लोग पाकिस्तानी सेना के वाहनों को जलाते हुए और सैनिकों को बंधक बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह गुस्सा वर्षों से जमा हो रहा है। 2023 से ही ये प्रदर्शन चल रहे हैं, लेकिन 2025 में और तेज हो गए हैं। आर्थिक नीतियों, जैसे सब्सिडी कटौती, ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। लोग कहते हैं कि पाकिस्तानी एलीट को सब कुछ मिलता है, जबकि आम आदमी भूखा मर रहा है।


अब सबसे दिलचस्प सवाल यह है कि क्या पीओके के लोग भारत में शामिल होना चाहते हैं? कई रिपोर्टें कहती हैं कि हां। कई लोग भारत की ओर देख रहे हैं, क्योंकि भारतीय कश्मीर में विकास हुआ है। सड़कें, पर्यटन, अर्थव्यवस्था सब कुछ बेहतर है। लोग देखते हैं कि वहां शांति है, जबकि पीओके में दमन जारी है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पीओके के लोग खुद भारत में शामिल होना चाहेंगे, क्योंकि वे हमें अपना मानते हैं।


कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी रिपोर्टों में कहा है कि लोग भारत के साथ पुनर्मिलन चाहते हैं, अधिक स्वशासन के लिए। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग पाकिस्तान से तंग आकर भारत की ओर झुक रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान का दमन जारी रहा, तो लोग विद्रोह से आगे बढ़कर अलगाव की बात करेंगे।


कुल मिलाकर, पीओके का विद्रोह पाकिस्तान की अपनी गलतियों का परिणाम है। सरकार ने लोगों के अधिकार नहीं दिए, दमन किया और अब गुस्सा फूट पड़ा है। लोग परेशान हैं क्योंकि उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं और पाकिस्तान उन्हें अपना नहीं मानता। भारत में शामिल होने की बात चल रही है, लेकिन यह समय बताएगा। फिलहाल, पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए और दमन बंद करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह आग और फैलेगी। दुनिया देख रही है और मानवाधिकार संगठन चिल्ला रहे हैं। पीओके के बिगड़ते हालात की परिणति क्या होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। (लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध संपादक हैं।)