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पीटर नवारो की मोदी पर टिप्पणियाँ: अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव

अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं, जिसमें उन्होंने मोदी को रूस और चीन के साथ खड़ा होने के लिए आलोचना की है। नवारो का कहना है कि मोदी को यूरोप और यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए और रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए। इस बयान के बाद भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है, यह कहते हुए कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और अमेरिका-भारत संबंधों में क्या नया मोड़ आ सकता है।
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पीटर नवारो की मोदी पर टिप्पणियाँ: अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव

नवारो की विवादास्पद टिप्पणियाँ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो हाल ही में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार विवादास्पद टिप्पणियाँ कर रहे हैं। उनकी नवीनतम टिप्पणी में, नवारो ने कहा कि यह “शर्मनाक” है कि मोदी ने चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में दुनिया के “दो सबसे बड़े अधिनायकवादी तानाशाहों” के साथ मंच साझा किया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मोदी को यूरोप और यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए और रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए।


भारत के प्रति नवारो का दृष्टिकोण

नवारो ने कहा, “शांति का रास्ता कई मायनों में कम से कम आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर गुजरता है। अब समय आ गया है कि मोदी आगे आएं। मुझे मोदी का बहुत सम्मान है। मैं भारतीय जनता से प्यार करता हूं। लेकिन यह शर्म की बात थी कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता पुतिन और शी जिनपिंग जैसे अधिनायकवादी तानाशाहों के साथ खड़ा दिखा।” उन्होंने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि भारत के नेता यह समझेंगे कि उन्हें यूरोप और यूक्रेन के साथ होना चाहिए, न कि रूस के साथ। और उन्हें तेल खरीदना बंद करना होगा।”


व्हाइट हाउस की व्यापार सलाहकार की टिप्पणियाँ

यह बयान उस समय आया जब व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार ने अमेरिका-भारत व्यापार विवाद पर टिप्पणी की थी। नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह परिष्कृत रूसी तेल पश्चिम को बेचकर “ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।” फॉक्स न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मोदी एक महान नेता हैं। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता होकर भी पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों खड़े हो रहे हैं।”


भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने इन आरोपों को “अनुचित और अव्यावहारिक” बताया है। भारत का कहना है, “किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”


अमेरिका की नीति और भारत का दृष्टिकोण

अमेरिका भारत को अपनी धुरी में देखना चाहता है, यानी रूस से दूर और चीन के खिलाफ। लेकिन भारत अब एक परिपक्व शक्ति है, जो बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में संतुलन साधने की राह पर है। नवारो का यह कहना कि "यह मोदी का युद्ध है" न केवल हास्यास्पद है बल्कि यह भी दर्शाता है कि वाशिंगटन अभी भी भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को पचाने में असमर्थ है। भारत को चाहिए कि वह इन आरोपों का जवाब ठंडे दिमाग और अपने हितों पर आधारित कूटनीति से दे।