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पुणे में तेंदुए के आतंक से ग्रामीणों ने अपनाए अनोखे सुरक्षा उपाय

पुणे के पिंपरखेड़ गांव में तेंदुए के आतंक ने ग्रामीणों को असाधारण सुरक्षा उपाय अपनाने पर मजबूर कर दिया है। तेंदुए के हमलों से बचने के लिए लोग गले में कांटेदार कॉलर पहनकर खेतों में काम कर रहे हैं। पिछले महीने में तेंदुए ने कई लोगों को शिकार बनाया है, जिससे गांव में भय का माहौल है। प्रशासन ने भी तेंदुए को मार गिराने के लिए कार्रवाई की है। जानें इस खौफनाक स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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पुणे में तेंदुए के आतंक से ग्रामीणों ने अपनाए अनोखे सुरक्षा उपाय

पिंपरखेड़ गांव में तेंदुए का खौफ

पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरखेड़ गांव में तेंदुए का आतंक इतना बढ़ गया है कि लोग अपनी जान बचाने के लिए अनोखे तरीके अपनाने को मजबूर हो गए हैं। यहां के ग्रामीण तेंदुए के हमलों से बचने के लिए अपने गले में लोहे के कांटेदार कॉलर पहनकर खेतों में काम करने जाते हैं, ताकि तेंदुआ उनकी गर्दन पर सीधे हमला न कर सके। पिछले एक महीने में तेंदुए ने एक 5 साल की बच्ची, एक 82 साल की बुजुर्ग महिला और एक 13 साल के लड़के को अपना शिकार बना लिया है। इन घटनाओं के बाद से पूरा गांव भय के साये में जी रहा है और लोग अपनी सुरक्षा के लिए चारों ओर बिजली की तारें और लोहे की ग्रिलें लगवा रहे हैं।


ग्रामीण विट्ठल रंगनाथ जाधव ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खेती ही उनकी आय का मुख्य स्रोत है, इसलिए वे डर के बावजूद घर पर नहीं बैठ सकते। उन्होंने बताया कि एक महीने पहले उनकी मां भी इसी तेंदुए का शिकार बनी थीं। विट्ठल के अनुसार, उन्हें हर दिन तेंदुआ दिखाई देता है और खेत में कभी भी हमला हो सकता है, इसलिए वे कांटेदार कॉलर पहनकर बाहर निकलते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुए के बार-बार दिखने और लगातार हमलों ने उनकी दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया है। अब लोग सुरक्षा के लिए समूह में खेतों पर जाते हैं और स्कूलों का समय भी सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक करने पर विचार कर रहे हैं।


इस बीच, प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की है। अधिकारियों ने बताया कि 5 नवंबर को वन विभाग और रेस्क्यू टीम के संयुक्त ऑपरेशन में उस आदमखोर तेंदुए को मार गिराया गया, जो इलाके में हुई तीन मौतों के लिए जिम्मेदार था। पुणे के वन संरक्षक आशीष ठाकरे ने उच्च अधिकारियों से मंजूरी लेकर कैमरा ट्रैप और थर्मल ड्रोन की मदद से तेंदुए को ट्रैक किया। ऑपरेशन के बाद तेंदुए का शव ग्रामीणों को दिखाया गया ताकि उनके मन से डर कम हो सके, और फिर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।