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पुणे में धूमधाम से मनाया गया डीजे-मुक्त दही हांडी उत्सव

पुणे में जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित डीजे-मुक्त दही हांडी उत्सव ने एक नई मिसाल कायम की। इस वर्ष का उत्सव ऐतिहासिक लाल महाल चौक पर भव्यता के साथ मनाया गया, जहां हजारों की भीड़ उमड़ी। 26 सार्वजनिक मंडलों द्वारा आयोजित इस उत्सव में पारंपरिक संगीत और वाद्य यंत्रों का विशेष ध्यान रखा गया। जानें इस उत्सव की खास बातें और मुंबई में बने नए रिकॉर्ड के बारे में।
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पुणे में धूमधाम से मनाया गया डीजे-मुक्त दही हांडी उत्सव

पुणे में दही हांडी उत्सव की भव्यता

पुणे का दही हांडी उत्सव: हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे और पुणे में दही हांडी उत्सव मनाया जाता है। इस बार पुणे में आयोजित उत्सव ने सभी का ध्यान खींचा। ऐतिहासिक लाल महाल चौक पर इस वर्ष हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए।


उत्सव का आनंद

दही हांडी उत्सव में श्रद्धालु और युवा ढोल-ताशों की थाप, बैंड की धुन और पारंपरिक संगीत के साथ झूमते नजर आए। यह उत्सव पारंपरिक तरीके से आयोजित किया गया, जिससे यह शहरवासियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गया। खास बात यह रही कि पुणे में यह उत्सव पूरी तरह से डीजे-मुक्त रहा, जिससे ध्वनि प्रदूषण पर ध्यान दिया गया।


संयुक्त आयोजन

यह दही हांडी उत्सव शहर के 26 सार्वजनिक मंडलों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जिसमें पुनीत बालन ग्रुप ने समन्वय का कार्य किया। जब राधाकृष्ण ग्रुप ने 7 थर की मानव पिरामिड बनाकर हंडी फोड़ी, तो पूरे चौक में गोविंदा आला रे के नारे गूंज उठे। इस क्षण को देखने के लिए हजारों दर्शक घंटों से इंतजार कर रहे थे।


पहला डीजे-मुक्त उत्सव

आयोजक पुनीत बालन ने बताया कि पुणे का दही हांडी उत्सव राज्य का पहला डीजे-मुक्त उत्सव था। पुणेकरों ने इसे जिस उत्साह से अपनाया, उसके लिए वे आभारी हैं। इस पहल से न केवल ध्वनि प्रदूषण कम हुआ, बल्कि पारंपरिक वाद्य बजाने वाले कलाकारों को भी रोजगार मिला।


कलाकारों की उपस्थिति

उत्सव में कई प्रसिद्ध कलाकार जैसे अभिनेता-निर्देशक प्रविण तरडे और हार्दिक जोशी उपस्थित रहे। डीजे-मुक्त दही हांडी उत्सव को केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर जोर देने से न केवल ध्वनि प्रदूषण कम हुआ, बल्कि शहर के कलाकारों को भी मंच मिला।


मुंबई में नया रिकॉर्ड

मुंबई में दही हांडी उत्सव का पिछला रिकॉर्ड टूट गया है। जोगेश्वरी के कोंकण नगर गोविंदा पथक ने 10 मानव पिरामिड बनाकर नया इतिहास रचा। इसके अलावा, जय जवान गोविंदा पथक ने भी 10 थर लगाकर कोंकण नगर के रिकॉर्ड की बराबरी की। इस बार मुंबई और ठाणे में कई बड़े आयोजन किए गए।