पुतिन की भारत यात्रा: आर्थिक संबंधों में नया मोड़
भारत यात्रा का महत्व
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया यात्रा केवल राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में एक कदम मानी जा रही है.
भारत और EAEU के बीच व्यापार समझौता
पुतिन का उद्देश्य है कि भारत और यूरेशियाई आर्थिक संघ (EAEU) के बीच तरजीही व्यापार समझौते (PTA) पर शीघ्र हस्ताक्षर हों, जिससे दोनों देशों के व्यापार को नई गति मिलेगी और अमेरिकी टैरिफ का दबाव कम होगा. यह समझौता भारत, रूस और पूरे यूरेशिया क्षेत्र के लिए नए अवसरों का द्वार खोल सकता है.
EAEU का महत्व
यूरेशियाई आर्थिक संघ, जिसमें रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं, का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार को सरल बनाना है. प्रस्तावित समझौता वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देगा, जिससे भारत को नए बाजारों की उपलब्धता होगी.
अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ रणनीति
पुतिन इस समझौते को अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ एक उपाय के रूप में देख रहे हैं. अमेरिका द्वारा हाल में लगाए गए उच्च आयात शुल्क ने भारत समेत कई देशों के व्यापार को प्रभावित किया है. EAEU समझौता भारत को वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराएगा, जिससे अमेरिकी दबाव का असर कम होगा.
भारत-रूस व्यापार संबंध
वर्तमान में भारत और रूस के बीच लगभग 70 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार हो रहा है, जिसे दोनों देश 2030 तक 100 अरब डॉलर से अधिक करने का लक्ष्य रख रहे हैं. भारत ऊर्जा, उर्वरक और रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर है, जबकि रूस भारतीय फार्मा, कृषि उत्पाद और मशीनरी खरीदने की योजना बना रहा है.
ऊर्जा से आगे बढ़ती साझेदारी
पुतिन ने स्पष्ट किया कि उनका दौरा केवल ऊर्जा अनुबंधों तक सीमित नहीं है. रूस भारत को तेल और गैस की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. दोनों देश व्यापार में रुकावटों को खत्म करने के लिए भुगतान और बीमा प्रणाली को सरल बनाने पर काम कर रहे हैं.
AI और औद्योगिक सहयोग के नए अवसर
रूस ने भारत को कृत्रिम मेधा (AI) और उन्नत औद्योगिक तकनीक में सहयोग देने का प्रस्ताव रखा है. पुतिन का मानना है कि भारत और रूस का संबंध केवल व्यापार या ऊर्जा तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देश भविष्य की तकनीकों में भी एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे.
