Newzfatafatlogo

पुतिन ने पीएम मोदी की प्रशंसा की, भारत-रूस संबंधों पर जोर दिया

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी हमेशा अपने देश के हितों को प्राथमिकता देते हैं। पुतिन ने भारत और रूस के बीच गहरी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद करता है, तो उसे आर्थिक नुकसान हो सकता है। पुतिन की यह टिप्पणी उनकी संभावित भारत यात्रा से पहले आई है। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और क्या कहा पुतिन ने।
 | 
पुतिन ने पीएम मोदी की प्रशंसा की, भारत-रूस संबंधों पर जोर दिया

पुतिन की मोदी की सराहना

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है। पुतिन ने कहा कि मोदी हमेशा अपने देश के हितों को प्राथमिकता देते हैं और उन्हें दुनिया के सबसे बुद्धिमान नेताओं में से एक माना। यह टिप्पणी पुतिन ने सोची में आयोजित *वल्दाई डिस्कशन क्लब* के पूर्ण सत्र के दौरान की, जहां उन्होंने भारत और रूस के बीच गहरे मित्रता और रणनीतिक साझेदारी पर भी चर्चा की।


भारत-रूस की विशेष साझेदारी

पुतिन ने कहा, *“भारत और रूस के लोग कभी भी दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को नहीं भूल सकते। लगभग 15 साल पहले हमने विशेष रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की थी, जो आज भी हमारे संबंधों को परिभाषित करती है। प्रधानमंत्री मोदी एक अत्यंत बुद्धिमान नेता हैं, जो हमेशा अपने देश के बारे में सोचते हैं।”*


पुतिन की संभावित भारत यात्रा

यह बयान ऐसे समय में आया है जब पुतिन की इस वर्ष के अंत में भारत यात्रा की संभावना जताई जा रही है। उनकी यात्रा से पहले, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत आने की उम्मीद है, जहां वे शिखर सम्मेलन की तैयारियों और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।


अमेरिकी टैरिफ पर पुतिन की प्रतिक्रिया

वल्दाई डिस्कशन क्लब में अमेरिकी टैरिफ और भारत की ऊर्जा जरूरतों पर पूछे गए सवाल पर पुतिन ने कहा कि यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद करता है, तो उसे लगभग 9 से 10 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पीएम मोदी किसी भी विदेशी दबाव के सामने नहीं झुकेंगे और भारत की गरिमा तथा रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा करेंगे।


पुतिन ने कहा, *“यह पूरी तरह से एक आर्थिक मामला है, राजनीतिक नहीं। यदि भारत हमारे ऊर्जा संसाधनों से पीछे हटता है, तो उसे नुकसान उठाना पड़ेगा। और यदि वह प्रतिबंधों के बावजूद हमारे साथ व्यापार जारी रखता है, तो भी उसे चुनौतियों का सामना करना होगा। लेकिन मुझे यकीन है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।”*