पुलिस द्वारा नाबालिग को यातनाएं देने का मामला: जांच शुरू

पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल
- जांच प्रक्रिया शुरू, बाल संरक्षण विभाग करेगा काउंसलिंग
- रिपोर्ट एसपी को सौंपी जाएगी
जींद। अलेवा थाना के एक एएसआई और दो अन्य कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने बिघाना के एक नाबालिग बच्चे को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं। इस मामले की जांच जिला बाल संरक्षण विभाग द्वारा शुरू की गई है, जिसमें नाबालिग की काउंसलिंग की जाएगी और रिपोर्ट एसपी को सौंपी जाएगी।
सुमन, जो बिघाना गांव की निवासी हैं, ने अलेवा थाना के एएसआई और एक अन्य कर्मचारी पर आरोप लगाया कि उनके नाबालिग बेटे को अनैतिक रूप से यातनाएं दी गईं। उन्होंने सीएम विंडो और बाल संरक्षण अधिकारी जींद को शिकायत दी थी।
उनका कहना है कि 31 जुलाई को उनके बेटे मंयक और उदित के साथ दुड़ाना के हर्गुन और चीमा ने मारपीट की थी। हालांकि, बाद में समझौता हो गया था, लेकिन 3 अगस्त को इन युवकों ने उनके बेटे को जान से मारने की धमकी दी और गांव के मोड़ पर बुलाकर उसकी पिटाई की।
पिटाई की गंभीरता
4 अगस्त को फिर से अलेवा थाना बुलाने पर, एएसआई मुकेश ने नाबालिग साहिल को अलग कमरे में बुलाकर उससे पूछताछ की। साहिल ने सब कुछ बता दिया, लेकिन 5 अगस्त को जब परिवार के अन्य सदस्य भी थाने गए, तो साहिल को फिर से बुलाकर पीटा गया।
परिजनों ने साहिल को नागरिक अस्पताल जींद में भर्ती कराया। महिला ने जिला बाल संरक्षण विभाग और सीएम विंडो पर शिकायत देकर पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पुलिस का पक्ष
अलेवा थाना के एएसआई मुकेश ने कहा कि बिघाना और दुड़ाना गांव के युवकों के बीच झगड़ा हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने किसी भी युवक की पिटाई नहीं की। परिवार के आरोप निराधार हैं।
जांच की पुष्टि
जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेंद्र अत्री ने कहा कि नाबालिग के साथ पुलिस द्वारा पिटाई का मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि नाबालिग को पीटना भी अपराध है और पुलिस को ऐसा नहीं करना चाहिए। विभाग इसकी जांच करेगा और रिपोर्ट एसपी को सौंपेगा।