पूर्व CJI जस्टिस बी.आर. गवई का बेबाक इंटरव्यू: न्यायपालिका और राजनीति पर विचार
जस्टिस गवई का इंटरव्यू
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने एक मीडिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि उन्हें 'एंटी-हिंदू' कहना पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। रिटायरमेंट के बाद किसी सरकारी पद को न स्वीकारने की बात दोहराते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में आने की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया जा सकता। इस बातचीत में उन्होंने न्यायपालिका, सोशल मीडिया, कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर खुलकर चर्चा की।
घटना का मकसद स्पष्ट नहीं
जस्टिस गवई ने अपने कार्यकाल के दौरान जूता फेंके जाने की घटना पर कहा कि इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने बताया कि इस घटना की असली नीयत अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन इसके बाद से वे कोर्ट में अपनी टिप्पणियों को लेकर अधिक सतर्क हो गए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर सामान्य बातों को भी गलत तरीके से पेश किया जा रहा था, इसलिए अदालत की टिप्पणियों के सोशल मीडिया कवरेज पर नियमन की आवश्यकता है।
बुलडोजर जस्टिस पर विचार
बुलडोजर जस्टिस के संदर्भ में, उन्होंने कहा कि कानून का शासन हमेशा सर्वोपरि होना चाहिए। उनका मानना है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है, चाहे मामला कितना भी संवेदनशील क्यों न हो। पीएमएलए पर बोलते हुए, उन्होंने जमानत को प्राथमिकता देने की बात की और हेट स्पीच को समाज के लिए खतरनाक बताते हुए संसद से इस पर सख्त कानून बनाने की अपील की।
भ्रष्टाचार पर सांसदों की जिम्मेदारी
न्यायिक भ्रष्टाचार के बारे में पूछे जाने पर, जस्टिस गवई ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच और दंड प्रक्रिया को तेज करना संसद की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, तो न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत हो सकता है। राजनीतिक मामलों में बेंच फिक्सिंग के आरोपों को उन्होंने नकारते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में कोई दबाव नहीं था।
सरकारी पदों को ठुकराने का निर्णय
रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद स्वीकार करने के सवाल पर, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे राज्यपाल या राज्यसभा जैसी जिम्मेदारियों को नहीं लेंगे। हालांकि, राजनीति में आने की संभावना को उन्होंने पूरी तरह से नकारा नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में उन्होंने राजनीति का रास्ता चुना, तो यह उनका व्यक्तिगत निर्णय होगा।
पर्यावरणीय चिंताओं पर ध्यान
अंत में, प्रदूषण के मुद्दे पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में पर्याप्त अधिकारी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि न्यायालय के आदेशों का पालन तभी संभव है जब कार्यपालिका अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाए। उन्होंने पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
