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पृथ्वी के पास से गुजरने वाला एस्टेरॉयड FA22: वैज्ञानिकों की नजर में

इस महीने, पृथ्वी के निकट एक अनोखा खगोलीय घटना घटने जा रही है, जब एस्टेरॉयड FA22 हमारे ग्रह के पास से गुजरेगा। वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की है और इसके आकार को लेकर चर्चा कर रहे हैं। FA22 की चौड़ाई 120 से 280 मीटर के बीच है, और यह पृथ्वी से टकराने की स्थिति में नहीं है। इस घटना पर वैज्ञानिकों की नजर है, और वे इसके बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने की योजना बना रहे हैं। जानें इस एस्टेरॉयड के प्रभाव और वैज्ञानिकों के लिए इसके महत्व के बारे में।
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पृथ्वी के पास से गुजरने वाला एस्टेरॉयड FA22: वैज्ञानिकों की नजर में

FA22 एस्टेरॉयड की अद्वितीय घटना

FA22 Asteroid: इस महीने पृथ्वी के निकट एक अनोखी खगोलीय घटना होने जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, एस्टेरॉयड FA22 सितंबर में हमारे ग्रह के पास से गुजरेगा। इस घटना पर नासा के CNEOS और JPL की टीमों ने ध्यान केंद्रित किया है। इसकी जानकारी इस वर्ष की शुरुआत में ही प्राप्त हुई थी, जब पैन-स्टार्स 2 सर्वे ने इसकी खोज की। इसके आकार के कारण, यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। 


एस्टेरॉयड FA22 का आकार

एस्टेरॉयड FA22 की चौड़ाई लगभग 120 से 280 मीटर के बीच मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अभी पृथ्वी से टकराने की स्थिति में नहीं है, लेकिन यह हमारे ग्रह के निकट से गुजरने वाला है। 


पृथ्वी पर एस्टेरॉयड का प्रभाव

अगर हम एस्टेरॉयड के आकार को समझें, तो दिल्ली का कुतुब मीनार, जिसकी ऊंचाई लगभग 73 मीटर है, के मुकाबले यह एस्टेरॉयड अपने छोटे आकार में भी उससे लगभग दोगुना ऊँचा होगा। इसके बड़े आकार की स्थिति में, कुतुब मीनार इसके सामने चार गुना से भी छोटा नजर आएगा। FA22 सूर्य के चारों ओर एक मध्यम लंबी, थोड़ी झुकी हुई कक्षा में घूमता है, और इसकी परिक्रमा अवधि लगभग 1.85 वर्ष है। जानकारी के अनुसार, यह 18 सितंबर को पृथ्वी से लगभग 8,42,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा, जो वैज्ञानिकों के लिए कई अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेगा। 


वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर

इंटरनेशनल एस्टेरॉयड वार्निंग नेटवर्क (IAWN) इस विशेष अवसर पर FA22 के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करेगा। इस दौरान शक्तिशाली दूरबीनों का उपयोग करके इसकी संरचना का अध्ययन करने की योजना बनाई गई है। हालांकि, इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी पर प्रभाव को लेकर चर्चा जारी है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्तमान में इससे कोई खतरा नहीं है। इस प्रकार का एस्टेरॉयड का गुजरना वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।