पैतृक संपत्ति के अधिकार: जानें क्या हैं नियम और विवाद

पैतृक संपत्ति के अधिकार
पैतृक संपत्ति के अधिकार: संपत्ति के मामलों में अक्सर विवाद होते हैं, विशेषकर जब बात पैतृक संपत्ति की आती है। इसका एक मुख्य कारण यह है कि कई लोग संपत्ति के कानूनों और अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते हैं।
कभी-कभी विवाद पैतृक संपत्ति पर अधिकार को लेकर होते हैं, तो कभी इसे बेचने के मुद्दे पर। ध्यान रहे कि पैतृक संपत्ति को बिना सभी संबंधित पक्षों की सहमति के बेचना कानूनी रूप से गलत है। इसमें सहमति लेना आवश्यक है, और यह उन व्यक्तियों की होती है जिनका उस संपत्ति में कानूनी अधिकार है।
पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति में अंतर
संपत्ति दो प्रकार की होती है: स्वअर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति।
स्वअर्जित संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति ने अपनी मेहनत और कमाई से प्राप्त की हो। इसका मालिक इसे किसी को भी बेच सकता है, इसके लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।
वहीं, पैतृक संपत्ति वह होती है जो पूर्वजों से विरासत में मिली हो। इस पर केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि परिवार की चार पीढ़ियों तक के लोगों का अधिकार होता है।
पैतृक संपत्ति बेचने के नियम
चूंकि पैतृक संपत्ति पर कई लोगों का अधिकार होता है, इसलिए इसे बिना सभी हकदारों की सहमति के बेचना संभव नहीं है। यदि किसी को यह संपत्ति बेचनी है, तो उसे अपने बेटे, बेटी और अन्य कानूनी वारिसों की सहमति लेनी होगी। सीधे शब्दों में कहें तो – पैतृक संपत्ति को तभी बेचा जा सकता है जब परिवार के सभी हकदार सदस्य इससे सहमत हों।
कानूनी झंझट में फंसने का खतरा
यदि पैतृक संपत्ति बेचते समय परिवार के सभी हकदारों की सहमति नहीं ली गई, या कोई एक सदस्य भी इस निर्णय से असहमत है, तो वह अपने अधिकार का दावा कर सकता है। ऐसे में वह व्यक्ति अदालत में जाकर कानूनी नोटिस भेज सकता है और संपत्ति की बिक्री पर रोक भी लगवा सकता है। इससे संपत्ति का सौदा रुक सकता है और कानूनी झंझटों में फंसने का खतरा बढ़ जाता है।